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छठ महापर्व बना त्रासदी: गंगा में डूबे चार बच्चे, पूरे गांव में कोहराम

भागलपुर के नवगछिया के नवटोलिया गांव में छठ घाट की तैयारी के दौरान गंगा में डूबने से 4 बच्चों की मौत हो गई। इस हादसे से गांव में मातम पसर गया और छठ की खुशियां गम में बदल गईं। प्रशासन ने जांच के आदेश देते सुरक्षा बढ़ा दी है।
Post Published By: Asmita Patel
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छठ महापर्व बना त्रासदी: गंगा में डूबे चार बच्चे, पूरे गांव में कोहराम

Bhagalpur: लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियों के बीच भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल से एक हृदयविदारक खबर सामने आई है। इस्माइलपुर थाना क्षेत्र के नवटोलिया गांव में छठ घाट तैयार करने के दौरान गंगा नदी में डूबने से चार मासूम बच्चों की मौत हो गई। इस हादसे ने न केवल चार परिवारों की खुशियां छीन लीं, बल्कि पूरे इलाके को शोक में डूबा दिया है।

छठ घाट की सफाई के दौरान हुआ हादसा

सोमवार की दोपहर गांव के कुछ बच्चे गंगा किनारे छठ घाट तैयार करने पहुंचे थे। गांव में उत्साह का माहौल था, महिलाएं घाट की सफाई में लगी थीं और बच्चे सजावट में मदद कर रहे थे। इसी दौरान चार बच्चे सफाई खत्म होने के बाद नदी में स्नान करने उतर गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अचानक एक बच्चा गहरे पानी में फिसल गया और तेज धारा में बहने लगा। उसे बचाने के लिए बाकी तीनों बच्चे भी नदी में कूद पड़े, लेकिन सभी चारों बच्चे गंगा की तेज लहरों में बह गए।

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गोताखोरों ने निकाले शव

गोताखोरों ने काफी मशक्कत के बाद चारों बच्चों को पानी से बाहर निकाला और आनन-फानन में उन्हें इस्माइलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद चारों को मृत घोषित कर दिया। जैसे ही यह खबर गांव में पहुंची, मातम छा गया। हर तरफ चीख-पुकार मच गई। जिन परिवारों के घरों में छठ की तैयारी हो रही थी, वहां अब चूल्हे ठंडे पड़ गए और आस्था का पर्व मातम में बदल गया।

गांव में पसरा सन्नाटा

पुलिस ने चारों मृत बच्चों की पहचान की पुष्टि की है। मृतकों में प्रिंस कुमार (11 वर्ष), नंदन कुमार (10 वर्ष) अन्य दो बच्चे पास के छठठु टोला के रहने वाले बताए जा रहे हैं। इन बच्चों की उम्र 10 से 13 साल के बीच बताई जा रही है। परिवारों में माताएं अपने बच्चों के शवों से लिपटकर रो-रोकर बेसुध हो रही थीं।

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गांव में छठ की खुशियां मातम में बदलीं

नवटोलिया गांव में छठ पर्व की तैयारियां जोरों पर थीं। महिलाएं नहाय-खाय का प्रसाद बना रही थीं, बच्चे फूल और दीये सजा रहे थे। लेकिन कुछ ही पलों में पूरा गांव ग़म में डूब गया। घटना के बाद से न तो किसी घर में पकवान बन रहे हैं, न घाट पर सजावट जारी है। चार छोटे-छोटे ताबूत जब गांव पहुंचे तो हर आंख नम हो गई। गांव के बुजुर्गों ने कहा, “ऐसा दर्द पहले कभी नहीं देखा। ये बच्चे छठ की सेवा में लगे थे और वही दिन उनके जीवन का आखिरी दिन बन गया।”

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