नई दिल्ली: सरकार द्वारा चलाई जा रही स्माल सेविंग स्कीम के तहत पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक लोकप्रिय योजना है, जो मिडिल क्लास परिवारों को सुरक्षित और टैक्स फ्री रिटर्न देने के लिए जानी जाती है। फिलहाल इस योजना पर 7.1% सालाना चक्रवृद्धि ब्याज मिल रहा है, जो अप्रैल 2020 से स्थिर है।
लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि आगामी जुलाई में इस ब्याज दर में कटौती हो सकती है। इसका प्रमुख कारण भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इस वर्ष रेपो रेट में कुल 100 आधार अंकों (बेसिस पॉइंट्स) की कटौती और सरकारी बॉन्ड यील्ड में गिरावट है।
श्यामला गोपीनाथ समिति का फॉर्मूला बना आधार
श्यामला गोपीनाथ समिति के अनुसार, PPF पर मिलने वाला ब्याज औसत 10 वर्षीय सरकारी प्रतिभूतियों (G-Sec) की उपज से 25 बेसिस पॉइंट अधिक होना चाहिए। वर्तमान में जब G-Sec यील्ड 6.325% है, तो इसके आधार पर PPF का तर्कसंगत ब्याज लगभग 6.57% होना चाहिए। इस आधार पर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ब्याज दर में 50 से 60 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा सकती है।
RBI की नीतियों का असर
1 Finance की सीनियर वीपी रजनी तंदले ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने जून में 0.5% की रेपो रेट में कटौती की है और इसके बाद से ब्याज दरों में गिरावट की संभावना बनी हुई है। उनका मानना है कि आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सरकार छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरों में कमी कर सकती है।
निवेशकों को सलाह
अर्थशास्त्रियों और निवेश विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आप PPF में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो ब्याज दर में संभावित कटौती से पहले निवेश करना बेहतर रहेगा। इससे मौजूदा उच्च ब्याज दर का लाभ उठाया जा सकेगा।
स्क्रिपबॉक्स के संस्थापक अतुल सिंघल ने कहा कि जुलाई की तिमाही समीक्षा में यदि कटौती होती है, तो इससे न केवल PPF बल्कि अन्य स्माल सेविंग योजनाएं जैसे कि सुकन्या समृद्धि योजना और एनएससी पर भी असर पड़ सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य
मौद्रिक नीति बनाना और उसे लागू करना
- रेपो दर और रिवर्स रेपो दर निर्धारित करना, जो बैंकों को दिए जाने वाले ऋण की लागत निर्धारित करता है।
- मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना।
- जीडीपी को स्थिर रखने के लिए आर्थिक गतिविधियों को संतुलित करना।
बैंकों का विनियामक
- सभी वाणिज्यिक बैंकों (जैसे एसबीआई, आईसीआईसीआई) को लाइसेंस देता है।
- यह देखने के लिए बैंकों की निगरानी करता है कि वे नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
- बैंकों के लिए ग्राहक सुरक्षा नियमों को लागू करना।
नकदी और मुद्रा का प्रबंधन
- भारत में नोट छापने का अधिकार केवल आरबीआई को है (₹1 के सिक्के को छोड़कर, जिसे भारत सरकार जारी करती है)।
- नकली मुद्रा पर रोक।
- पुराने नोट वापस लेना और नए नोट प्रचलन में लाना।
विदेशी मुद्रा पर नियंत्रण
- विदेशी मुद्रा भंडार को संभालना।
- रुपये की विनिमय दर को स्थिर रखने का प्रयास करना।
- फेमा (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) के तहत विदेशी निवेश और व्यापार को विनियमित करना।
सरकार का बैंकर
- केंद्र और राज्य सरकारों के खातों को संभालता है।
- सरकारी उधारी को नियंत्रित करता है और सरकारी बांड जारी करता है।
वित्तीय स्थिरता बनाए रखना
जब देश आर्थिक संकट (जैसे 2008 या कोविड-19 जैसी स्थिति) का सामना करता है, तो RBI राहत उपाय (जैसे ऋण स्थगन, दर में कटौती) करता है।

