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सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए जम्मू-कश्मीर के सहायक आयुक्त को किया गिरफ्तार

CBI ने जम्मू-कश्मीर सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत फूड सेफ्टी के सहायक आयुक्त संजीव बाली को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। उन पर 10,000 रुपये की रिश्वत मांगने और लेने का आरोप है।
Post Published By: Poonam Rajput
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सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए जम्मू-कश्मीर के सहायक आयुक्त को किया गिरफ्तार

Srinagar: CBI ने जम्मू-कश्मीर सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत फूड सेफ्टी के सहायक आयुक्त संजीव बाली को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। उन पर 10,000 रुपये की रिश्वत मांगने और लेने का आरोप है।

सीबीआई ने इस मामले में 25 अगस्त को मामला दर्ज किया था। शिकायत के अनुसार, संजीव बाली ने शिकायतकर्ता की दुकान से सैंपल न लेने और एक वर्ष तक निरीक्षण से छूट देने के बदले में 10,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी, ताकि शिकायतकर्ता बिना किसी परेशानी के अपना व्यवसाय चला सके।

सीबीआई ने 25 अगस्त को जाल बिछाकर आरोपी को रंगे हाथों पकड़ा। इसके बाद आरोपी के आवासीय परिसरों पर छापेमारी की गई, जिसमें 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए हैं। इन दस्तावेजों की जांच जारी है।

पिछले सप्ताह ओडिशा में भी हुई थी गिरफ्तारी

ओडिशा के राउरकेला रेलवे स्टेशन पर सीबीआई ने एक पार्सल क्लर्क को भी 21 अगस्त 2025 को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उस क्लर्क ने शिकायतकर्ता से उसका माल प्राथमिकता के आधार पर बुक करने के बदले में 8,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी।

बातचीत के बाद, आरोपी क्लर्क 8,000 रुपये की रिश्वत लेने को तैयार हुआ और फ्रेट बुकिंग बिल अपने पास रख लिया ताकि शिकायतकर्ता उसे रिश्वत दे सके। सीबीआई ने 21 अगस्त को जाल बिछाकर आरोपी को 7,200 रुपये की रिश्वत लेते समय रंगे हाथों पकड़ लिया।

पुडुचेरी में भी रिश्वतखोरी का मामला सामने आया

पिछले शुक्रवार, सीबीआई ने पुडुचेरी में केंद्रीय श्रम विभाग के सहायक श्रम आयुक्त और एक निजी व्यक्ति को रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार किया। जांच के दौरान 1 लाख रुपये की रिश्वत राशि बरामद की गई।

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सीबीआई ने इस मामले की जांच 21 अगस्त को शुरू की थी। आरोप है कि सहायक श्रम आयुक्त ने एक निजी कंपनी से एनएचएआई के त्रिची रोड कॉन्ट्रैक्ट के लिए आवश्यक दो लेबर लाइसेंस दिलवाने के बदले में 1 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी। यह रिश्वत एक निजी व्यक्ति के माध्यम से मांगी गई थी। लेबर लाइसेंस के अभाव में कंपनी का एनएचएआई से भुगतान अटका हुआ था।

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