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Election Fraud: बिहार में फर्जी वोटर ID घोटाला, दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम पर जारी हुए पहचान पत्र

बिहार के भागलपुर में दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम पर फर्जी वोटर ID जारी होने का मामला सामने आया है। गृह मंत्रालय की जांच में इसका खुलासा हुआ। ये महिलाएं वीजा खत्म होने के बावजूद भारत में रह रही थीं।
Post Published By: Tanya Chand
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Election Fraud: बिहार में फर्जी वोटर ID घोटाला, दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम पर जारी हुए पहचान पत्र

Bhagalpur: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भागलपुर जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम पर वोटर आईडी कार्ड जारी हुए हैं। इस फर्जीवाड़े का खुलासा केंद्रीय गृह मंत्रालय की जांच में हुआ, जो अवैध रूप से भारत में रह रहे विदेशियों का पता लगाने में जुटी थी।

किस तरह सामने आया मामला?

गृह मंत्रालय की टीम जब वीजा समाप्त होने के बावजूद भारत में रह रहे विदेशियों की जांच कर रही थी, तभी भागलपुर के इशाकचक थाना क्षेत्र स्थित भीखनपुर गुमटी नंबर 3 टैंक लेन इलाके में तीन पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी की पुष्टि हुई। इनमें दो महिलाएं थीं, जिनके नाम मतदाता सूची में भी दर्ज थे।

जांच में क्या पाया गया?

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट सामने आने के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय ने भागलपुर एसएसपी को मामले की जांच सौंपी। जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि दोनों पाकिस्तानी महिलाओं के नाम पर बाकायदा वोटर आईडी कार्ड बने हुए हैं, जिनमें EPIC नंबर तक दर्ज है।

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इसके बाद स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट आने पर प्रशासन में हड़कंप मच गया। स्पेशल ब्रांच के एसपी ने भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी और एसएसपी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

कौन हैं ये पाकिस्तानी महिलाएं

1. फिरदौसिया खानम

2. इमराना खानम उर्फ इमराना खातून

इनके अलावा, मोहम्मद असलम नामक एक पाकिस्तानी नागरिक भी 24 मई 2002 को दो साल के वीजा पर भारत आया था और अब तक भारत में ही है। वह भी आधार कार्ड बनवा चुका है।

क्या कार्रवाई हो रही है?

भागलपुर के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी ने पुष्टि की है कि इन दोनों महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही, यह भी जाँच की जा रही है कि इन नागरिकों को आधार और वोटर आईडी किस प्रक्रिया से जारी किए गए और इसमें कौन-कौन शामिल था।

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चुनाव से पहले सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह मामला अत्यंत संवेदनशील बन गया है। गृह मंत्रालय, चुनाव आयोग और पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क की गहन जांच में जुट गए हैं ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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