

भारत में वित्त वर्ष अप्रैल-मार्च की जगह जनवरी-दिसंबर हो सकता है। एक संसदीय समिति ने देश में वित्त वर्ष का समय बदलने की सिफारिश की है।
नई दिल्ली: अब एक नया कानून आने वाला है, देश में वित्तीय वर्ष मार्च-अप्रैल के बजाय जनवरी दिसंबर किया जा सकता है। संसद ने एक कमेटी ने देश का वित्तीय वर्ष बदलने की सलाह दी है, कमेटी का मानना है कि अप्रैल से मार्च वित्तीय वर्ष की परंपरा अंग्रेजो ने शुरू की थी, अब इस दशकों पुरानी परंपरा को समाप्त किया जाना चाहिए। कमेटी की ओर से इस सलाह पर बजट मार्च की बजाय फरवरी में पेश करने वाली वित्तीय कमेटी की एक रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कमेटी यह सुझाव देगी कि वित्तीय वर्ष को भी उस अनुसार बदल कर कैलेंडर वर्ष कर दिया जाए। वही दूसरी ओर कांग्रेस ने वित्तीय वर्ष बदलने के संकेतो के बीच डेट खिसकने पर आलोचना भी की थी। सांसद एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रालय से जुड़ी संसद कमेटी ने बजट जल्दबाजी में पेश करने पर सरकार की आलोचना की थी।
कांग्रेस ने कहा था कि सरकार को बजट एक महीना पहले पेश किए जाने से पहले अच्छी तैयारी और पर्याप्त जमीनी कार्य किए जाने चाहिए थे। बता दें कि सरकार ने बजट से जुड़े काम 31 मार्च तक पूरा करने के लिए उसे एक महीना पहले पेश करने का निर्णय लिया ताकि संबंधित मंत्रालय वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही अलॉट किया हुआ धन खर्च करना शुरू कर सके।
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