सोनभद्र में नसबंदी के बावजूद महिला के चौथे बच्चे का जन्म हुआ। पीड़ित परिवार ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पहले से तीन बच्चों वाले गरीब परिवार ने सरकार से मुआवजे की मांग की है।

Sonbhadra: जिले से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से जुड़ा गंभीर मामला सामने आया है, जहां नसबंदी कराने के बावजूद एक महिला के चौथे बच्चे का जन्म हुआ है। मामला चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा बताया जा रहा है। पीड़ित परिवार ने डॉक्टर पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और सरकार से मुआवजे की मांग की है।
सिंदुरिया निवासी अजय कुमार ने बताया कि फरवरी 2024 में उनकी पत्नी की नसबंदी चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराई गई थी। उस समय दंपती के पहले से ही तीन बच्चे थे और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्होंने परिवार बढ़ने से रोकने के लिए नसबंदी का फैसला लिया था। बावजूद इसके, ऑपरेशन विफल रहा और उनकी पत्नी को चौथे बच्चे का जन्म हुआ।
अजय कुमार का आरोप है कि नसबंदी के दिन अस्पताल में 150 से 200 महिलाओं की भीड़ थी। उनकी पत्नी का ऑपरेशन बहुत जल्दबाजी में किया गया और मात्र 10 से 15 मिनट में ऑपरेशन रूम से बाहर निकाल दिया गया। उनका कहना है कि डॉक्टर की लापरवाही और जल्दबाजी के कारण ही नसबंदी सफल नहीं हो सकी।
पीड़ित महिला ने बताया कि उन्हें ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का नाम तक नहीं पता है। वहीं, पीड़ित महिला की सास ने भी अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि भीड़ अधिक होने के कारण डॉक्टरों ने जल्दबाजी में ऑपरेशन किया, जिसका खामियाजा परिवार को भुगतना पड़ रहा है।
Sonbhadra: जिले से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से जुड़ा गंभीर मामला सामने आया है, जहां नसबंदी कराने के बावजूद एक महिला के चौथे बच्चे का जन्म हुआ है। मामला चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा बताया जा रहा है। पीड़ित परिवार ने डॉक्टर पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है और सरकार से मुआवजे की मांग की है।
सिंदुरिया निवासी अजय कुमार ने बताया कि फरवरी 2024 में उनकी पत्नी की नसबंदी चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराई गई थी। उस समय दंपती के पहले से ही तीन बच्चे थे और आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्होंने परिवार बढ़ने से रोकने के लिए नसबंदी का फैसला लिया था। बावजूद इसके, ऑपरेशन विफल रहा और उनकी पत्नी को चौथे बच्चे का जन्म हुआ।
अजय कुमार का आरोप है कि नसबंदी के दिन अस्पताल में 150 से 200 महिलाओं की भीड़ थी। उनकी पत्नी का ऑपरेशन बहुत जल्दबाजी में किया गया और मात्र 10 से 15 मिनट में ऑपरेशन रूम से बाहर निकाल दिया गया। उनका कहना है कि डॉक्टर की लापरवाही और जल्दबाजी के कारण ही नसबंदी सफल नहीं हो सकी।
पीड़ित महिला ने बताया कि उन्हें ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का नाम तक नहीं पता है। वहीं, पीड़ित महिला की सास ने भी अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि भीड़ अधिक होने के कारण डॉक्टरों ने जल्दबाजी में ऑपरेशन किया, जिसका खामियाजा परिवार को भुगतना पड़ रहा है।