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Uttarakhand: देहरादून में PCS अधिकारी के ठिकानों पर ED की छापेमारी, मचा हड़कंप

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गुरुवार को ईडी की छापेमारी से ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप मच गया।
Post Published By: Jay Chauhan
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Uttarakhand: देहरादून में PCS अधिकारी के ठिकानों पर ED की छापेमारी, मचा हड़कंप

देहरादून: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को एनएच 74 घोटाला मामले में प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) अधिकारी और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार यह छापेमारी देहरादून, काशीपुर, रुद्रपुर में कई अफसरों के घर पर की गई। पहले भी कई अफसरों पर ईडी कार्रवाई कर चुकी है।

जानकारी के अनुसार छापा एनएच-74 और एनएच-125 के चौड़ीकरण के लिए की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर डाले गए।

सूत्रों के अनुसार ईडी ने पीसीएस अधिकारी डीपी सिंह के आवास पर छापा मारा है। वे एनएच-74 मुआवजा घोटाला में आरोपी रह चुके है।

ईडी की छापेमारी

गौरतलब है कि यह मामला 2017 में उत्तराखंड पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था। जांच में पाया गया कि पीसीएस अधिकारी समेत कुछ अन्य लोकसेवकों, राजस्व अधिकारियों, किसानों और बिचौलियों ने मिलकर सरकारी धन के दुरुपयोग की साजिश रची थी।
उन्होंने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 की धारा 143 के तहत पारित बैकडेट आदेशों के आधार पर यह घोटाला किया।

ईडी ने 2020 में इस मामले में बयान जारी कर जानकारी दी थी कि गैर-कृषि दर पर दिया गया मुआवजा, कृषि दर से काफी अधिक था।

ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कम से कम सात ठिकानों पर यह छापामारी की।

ईडी के अनुसार जब अधिकारी भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी के रूप में कार्यरत थे, उन्होंने पिछली तारीख में आदेश पारित कर अधिग्रहण की गई भूमि की प्रकृति में बदलाव कर दिया। इससे सरकार को करीब 162.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आरोप है कि उन्होंने कृषि भूमि को गैर-कृषि घोषित कर अधिक मुआवजा राशि जारी की।

सूत्रों की अगर माने तो NH 74 घोटाले में परिवर्तन निदेशालय को कुछ नए सबूत हाथ लगे हैं। कुछ नए दस्तावेज हाथ लगने के बाद बैंकों में कुछ अन्य लेन-देन के मामले भी सामने आए हैं। इसको लेकर यह कार्रवाई की जा रही है। ये छापेमारी केवल उत्तराखंड में ही नहीं उत्तरप्रदेश में भी कई जगह की जा रही है।

इस मामले में राजस्व अधिकारियों, भू माफियाओं और कुछ स्थानीय नेताओं की संलिप्ता भी सामने आई थी। इस मामले में कई लोग जेल की हवा भी खा चुके हैं।

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