Rudraprayag: “वक्त को जिसने ना समझा, धूल में वो मिल गया। वक्त का साया रहा तो फूल बनकर खिल गया।” यह पंक्तियाँ आज उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले के एक साधारण से परिवार के लड़के अतुल कुमार पर सटीक बैठती हैं। पहाड़ों में पले-बढ़े अतुल की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो संसाधनों की कमी के बावजूद सपने देखता है।
अतुल कुमार, रुद्रप्रयाग के एक छोटे से गाँव में रहने वाला लड़का, रोज़ सुबह चार बजे उठकर अपने खच्चर को तैयार करता और यात्रियों को केदारनाथ मंदिर तक पहुंचाता था। दिनभर घोड़े की लगाम पकड़े वह उन तीर्थयात्रियों की सेवा करता, जिनके लिए केदारनाथ की यात्रा कठिन होती है। लेकिन ये कड़ी मेहनत सिर्फ आजीविका के लिए थी, अतुल का सपना इससे कहीं बड़ा था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पैसों की तंगी इतनी थी कि कोचिंग की फीस तो दूर, किताबें भी बड़ी मुश्किल से जुटती थीं। लेकिन अतुल ने हार नहीं मानी। दिनभर यात्रियों को केदारनाथ तक पहुंचाने के बाद रात के अंधेरे में लालटेन की रोशनी में पढ़ाई करना उसका रोज़ का नियम था। कभी दोस्तों के पुराने नोट्स से पढ़ा, तो कभी इंटरनेट कैफ़े जाकर वीडियो लेक्चर देखे।
कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास ने आखिर रंग दिखाया। IIT JAM 2025 परीक्षा में अतुल ने ऑल इंडिया रैंक 649 हासिल कर सबको चौंका दिया। अब वही अतुल, जो कभी घोड़े की लगाम पकड़ता था, अब IIT मद्रास में साइंस की पढ़ाई करेगा और भारत का नाम रोशन करेगा।
अतुल की सफलता यह बताती है कि सपने पूरे करने के लिए हालात नहीं, हौसला मायने रखता है। उसकी कहानी ना केवल पहाड़ों में रहने वाले युवाओं के लिए बल्कि देशभर के लाखों युवाओं के लिए एक मजबूत संदेश है कि अगर इरादे पक्के हों तो कोई भी मुश्किल रास्ता मंज़िल को रोक नहीं सकता।
डाइनामाइट न्यूज़ मीडिया अतुल कुमार की इस जिजीविषा को सलाम करता है और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।