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हरेला पर्व पर उत्तराखंड में हरियाली की अलख, टनकपुर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ थीम पर वृक्षारोपण

उत्तराखंड में हरेला पर्व पर मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में ‘एक पेड़ मां के नाम’ थीम पर वृक्षारोपण हुआ। 5 लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। पढ़ें पूरी खबर
Post Published By: Tanya Chand
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हरेला पर्व पर उत्तराखंड में हरियाली की अलख, टनकपुर में ‘एक पेड़ मां के नाम’ थीम पर वृक्षारोपण

Champawat: उत्तराखंड में पारंपरिक लोक पर्व हरेला को इस वर्ष विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ पूरे प्रदेश में हरित अभियान के रूप में मनाया जा रहा है। इसी क्रम में टनकपुर स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में भी एक पेड़ मां के नाम थीम पर वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों और आम नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की।

नोडल अधिकारी ने की कार्यक्रम की अगुवाई
इस कार्यक्रम की अगुवाई नोडल अधिकारी केदार सिंह बृजवाल और विधायक प्रतिनिधि दीपक रजवार ने की। उनके साथ कैंप कार्यालय की टीम और क्षेत्रीय नागरिकों ने धरती माता और अपनी मां के नाम एक-एक पौधा रोपित किया। कार्यक्रम के दौरान वृक्ष लगाओ, जीवन बचाओ और एक पेड़ मां के नाम जैसे भावनात्मक और प्रेरणास्पद नारों ने वातावरण को उत्साह और जागरूकता से भर दिया।

जनभागीदारी के साथ मनाया गया पर्व
नोडल अधिकारी बृजवाल ने जानकारी दी कि माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में इस बार हरेला पर्व को व्यापक जनभागीदारी के साथ पर्यावरणीय उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री के आह्वान पर आज पूरे राज्य में 5 लाख से अधिक पौधे रोपित किए जा रहे हैं, जो राज्य को हरियाली की ओर अग्रसर करने की एक बड़ी पहल है।

एक पेड़ मां के नाम

सभी ने लिया हरित उत्तराखंड बनाने का संकल्प
कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने पर्यावरण की रक्षा और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, हरित उत्तराखंड बनाने का संकल्प लिया। यह आयोजन न केवल प्रकृति से जुड़ने का अवसर बना, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि व्यक्तिगत प्रयासों से भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

उत्तराखंड में हरियाली अभियान को नई दिशा
टनकपुर में आयोजित यह कार्यक्रम हरेला पर्व के महत्व को नए आयाम देने वाला साबित हुआ, जिसमें परंपरा और प्रकृति के बीच एक सुंदर समन्वय देखने को मिला। उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में इस प्रकार के कार्यक्रमों से राज्य में हरियाली बढ़ाने और जलवायु संतुलन बनाए रखने की दिशा में मजबूत कदम उठाया जा रहा है।

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