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Nainital: इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं जानलेवा

प्रदेश में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों मेें लगातार वृद्धि हो रही है। इसके मद्देनजर हल्द्वानी के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉक्टर अजय बजाज ने लोगों को सलाह दी।
Post Published By: Jay Chauhan
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Nainital: इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं जानलेवा

Nainital: प्रदेश में बीते कुछ समय से ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दूसरी तरफ हल्द्वानी में भी  कुछ सालों से ब्रेन स्ट्रोक के मामले देखने को मिल रहे हैं।

डाक्टरों के मुताबिक अब युवाओं को भी ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हो रही है। इसको यंग-ऑनसेट स्ट्रोक कहा जाता है जिसमें 45 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को स्ट्रोक होता है। सभी स्ट्रोक के मामलों में से लगभग 10 से 15% युवा-शुरुआत स्ट्रोक के होते हैं। इसकी मुख्य वजह खराब लाइफस्टाइल है।

भागमभाग लाइफ और खराब दिनचर्या की वजह से लोग हाई बीपी और डायबिटीज की बीमारी के शिकार हो रहे हैं। जीवनशैली की खराब आदतें जैसे धूम्रपान और काम से संबंधित मानसिक तनाव भी ब्रेन स्ट्रोक का एक कारण हो सकता है।

हल्द्वानी स्थित बजाज सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के एमडी डाक्टर अजय बजाज ने कहा कि युवाओं में स्ट्रोक का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण क्लॉटिंग और एंटी क्लॉटिंग मैकेनिज्म की समस्या है  जिससे हाइपर कोएग्युलेबल स्थिति हो जाती है, जहां खून में थक्का बनने लगता है।

उन्होंने कहा कि जब दिमाग की नसों में खून का थक्का बन जाता है तो स्ट्रोक आ जाता है। खराब लाइफस्टाइल के कारण कम उम्र के लोगों को भी ब्रेन में क्लॉट हो रहा है। इससे ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है।

डाक्टर अजय बजाज ने बताया कि अगर स्ट्रोक का समय पर इलाज न हो तो ये जानलेवा हो सकता है। लोगों को स्ट्रोक के लक्षण जैसे आंखों से धुंधला दिखना, चक्कर आना और सिर में तेज दर्द होता है।

उन्होंने कहा कि इसको नजरअंदाज न करें। इस स्थिति में तुरंत अस्पताल जाएं। अगर कम उम्र में भी यह समस्या हो रही है तो भी इलाज कराएं। इस मामले में लापरवाही न बरतें। सही समय पर ट्रीटमेंट से ब्रेन स्ट्रोक की समस्या को काबू में किया जा सकता है।

अजय बजाज ने बताया कि तापमान में वृद्धि के साथ ब्रेन स्ट्रोक के मामले भी बढ़ने लगते हैं। ऐसे मौसम में जिन लोगों को पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, धूमपान व शराब की आदत, मोटापा, सांस लेने में परेशानी और हृदय रोग जैसी समस्याएं हैं, उनमें हीट स्ट्रोक से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा दो गुणा से अधिक होता है।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों में इस तरह के मरीज इमरजेंसी में आने लगे हैं। ऐसे रोगी इलाज में कतई लापरवाही न करें और नियमित दवा लें। भोजन कम करें। हर दिन तीन-साढ़े लीटर तरल पदार्थ का सेवन करें। रोजाना सुबह 30 मिनट पैदल चलने और सूर्य नमस्कार की आदत डालें। उन्होंने कहा कि जरा सी लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है।

अजय बजाज ने कहा कि  वे ब्रेन स्टॉक के इलाज के लिए व्यापक स्पेक्ट्रम सर्जिकल प्रक्रियाओं को अंजाम देते हैं। वे सभी नैदानिक आंकड़ों की गहन जांच करते हैं और उसके आधार पर अनुकूलित ब्रेन स्टॉक उपचार योजनाएं विकसित करते हैं। विशेषज्ञों की एक विविध टीम के साथ मिलकर काम करते हैं।

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