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उत्तराखंड पंचायती चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, आरक्षण रोटेशन प्रणाली पर उठे सवाल

उत्तराखंड पंचायती चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, जाने डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में
Post Published By: Rohit Goyal
Published:
उत्तराखंड पंचायती चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, आरक्षण रोटेशन प्रणाली पर उठे सवाल

नैनीताल: उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर फिलहाल विराम लग गया है। हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह अहम फैसला सोमवार को मुख्य न्यायाधीश जी.एस. नरेंद्र और न्यायमूर्ति अशोक कुमार मेहरा की खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने यह रोक आरक्षण रोटेशन नीति को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के बाद लगाई है।

याचिकाकर्ताओं में प्रमुख रूप से बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल सहित कई अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने 9 जून 2025 को पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली जारी की थी। इसके बाद 11 जून को पूर्व में लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर नया रोटेशन लागू कर दिया गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस नई व्यवस्था से कई पंचायत सीटें लगातार आरक्षित रहती हैं, जिससे बड़ी संख्या में योग्य लोग चुनाव लड़ने से वंचित हो जाते हैं। कोर्ट ने पाया कि सरकार द्वारा अपनाई गई आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं है और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करती है।

खंडपीठ ने सरकार को पहले ही स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार कोर्ट को संतोषजनक जवाब देने में विफल रही। इसके विपरीत, सरकार ने मामला न्यायालय में लंबित होने के बावजूद 21 जून को अधिसूचना जारी कर चुनाव की तिथियां घोषित कर दीं। यह अदालत की माने तो न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।

चुनाव आयोग ने प्रदेश के 22 जिलों में (हरिद्वार को छोड़कर) दो चरणों में चुनाव कराने की योजना बनाई थी, जिनकी मतगणना 19 जुलाई को होनी थी। लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूरा पंचायत चुनावी कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।

कोर्ट ने सरकार से विस्तृत जवाब मांगते हुए कहा है कि जब तक अगला आदेश नहीं आता, तब तक पंचायत चुनाव नहीं कराए जा सकते। फिलहाल राज्य सरकार की अगली कानूनी प्रतिक्रिया और अदालत के आगामी निर्देश का इंतजार रहेगा।

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