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हरिद्वार: नकली आइसक्रीम फैक्ट्रियों का पर्दाफाश, बच्चों की सेहत पर मंडराया खतरा

हरिद्वार में नकली आइसक्रीम फैक्ट्रियों का पर्दाफाश किया गया हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Rohit Goyal
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हरिद्वार: नकली आइसक्रीम फैक्ट्रियों का पर्दाफाश, बच्चों की सेहत पर मंडराया खतरा

हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार में अवैध रूप से चल रही स्क्रीम और आइसक्रीम बनाने वाली फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ हुआ है। ये फैक्ट्रियां न तो किसी लाइसेंस के अंतर्गत चल रही थीं और न ही इनके पास भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की मान्यता थी। ये कारखाने स्वास्थ्य मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए गंदगी के माहौल में आइसक्रीम बना रहे थे, जिससे बच्चों समेत आमजन की सेहत के साथ खुला खिलवाड़ हो रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्थानीय लोगों की मानें तो इन फैक्ट्रियों में चीनी की जगह सस्ती और खतरनाक सैक्रीन का इस्तेमाल हो रहा है, जिसे चिकित्सकीय रूप से शरीर के लिए धीमा ज़हर माना जाता है। इन उत्पादों पर न तो अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) अंकित होता है, न ही निर्माण अथवा समाप्ति तिथि। इसके बावजूद इन्हें खुलेआम बाजारों और दुकानों में बेचा जा रहा है।

सबसे हैरानी की बात यह है कि क्षेत्रीय फूड सेफ्टी विभाग को बार-बार शिकायत देने के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। इससे लोगों में यह शंका गहराने लगी है कि कहीं विभागीय अफसरों की इन फैक्ट्रियों से मिलीभगत तो नहीं है? सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर कब तक जनता की सेहत से यूं ही खिलवाड़ होता रहेगा और जिम्मेदार अधिकारी मूकदर्शक बने रहेंगे?

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्थानीय निवासियों में इस पूरे प्रकरण को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो वे उग्र प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे। लोगों ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई की मांग की है।

जनता की मांग है कि दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर उनकी फैक्ट्रियों को सील किया जाए, और पूरे जिले में खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को लेकर विशेष अभियान चलाया जाए, ताकि भविष्य में ऐसे घातक प्रयोगों को रोका जा सके।

मामला सीधे तौर पर लोगों की सेहत से जुड़ा है जब आइसक्रीम फैक्ट्रियों में इस तरह की धांधली चल रही तो अन्य खाने पीने की चीजें कितनी गुणवत्ता से बनाई जा रही है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, अब देखना होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे को कितनी प्राथमिकता देता है, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दब कर रह जाएगा।

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