Site icon Hindi Dynamite News

Haridwar: कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने सत्तापक्ष पर लगाई आरोपों की झड़ी, कहा…

उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: विजय यादव
Updated:
Haridwar: कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने सत्तापक्ष पर लगाई आरोपों की झड़ी, कहा…

हरिद्वार:  उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों सियासी तापमान तेजी से चढ़ता दिख रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक इंजीनियर रवि बहादुर ने राज्य सरकार पर तीखे और गंभीर आरोप लगाकर सत्तापक्ष को कटघरे में खड़ा किया है। हरिद्वार जिले की ज्वालापुर सीट से विधायक रवि बहादुर ने सरकार को दिशाहीन बताते हुए कहा कि जनता की मूलभूत समस्याएं सरकार की प्राथमिकताओं से बाहर हो गई हैं।

रवि बहादुर ने कहा कि प्रदेश में अवैध खनन, पुलिस द्वारा हो रही वसूली और कानून व्यवस्था की बिगड़ती हालत आम जनता को बेहाल कर रही है, लेकिन सरकार आंखें मूंदे बैठी है। चार धाम यात्रा में अव्यवस्थाओं को लेकर भी विधायक ने सरकार को घेरा। उनका आरोप है कि श्रद्धालु परेशान हैं, सुविधाएं नदारद हैं और प्रशासन पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है।

उन्होंने विधानसभा में विपक्ष की आवाज़ को दबाने के प्रयासों की भी आलोचना की। उनका कहना था कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, लेकिन यहां सवाल पूछने वालों को ही निशाना बनाया जा रहा है। सरकार अपने झूठे कामों को दिखाकर मुनादी कर रही है।

बिजली, सड़क और जल जैसी बुनियादी जरूरतों पर भी सरकार की चुप्पी को लेकर विधायक ने असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि जिन मुद्दों पर सरकार को सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए, वही मुद्दे नजरअंदाज किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता सब जानती है और माकूल समय आने पर हिसाब देगी।

जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए रवि बहादुर ने कहा कि हर समाज को अपनी सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानने का हक है। इससे योजनाओं को न्यायसंगत और प्रभावशाली बनाया जा सकेगा।” यह बयान राज्य में जातिगत समीकरणों को भी नया मोड़ दे सकता है।

वहीं, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर रवि बहादुर से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने केंद्र सरकार के रुख का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए और पाकिस्तान को अब स्पष्ट और कठोर संदेश देना जरूरी है।

अब सभी की निगाहें सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं—क्या ये आरोप सत्ता के गलियारों में हलचल मचाएंगे या फिर एक और राजनीतिक बयानबाज़ी बनकर रह जाएंगे?

Exit mobile version