

दीपावली पर बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में भव्य दीपोत्सव का आयोजन हो रहा है। बद्रीनाथ में पहली बार 12,000 दीप जलाए जाएंगे और माता लक्ष्मी को 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। मंदिरों को 12 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा। यहां पढ़ें पूरी खबर
बद्रीनाथ-केदारनाथ में ऐतिहासिक दीपोत्सव (सोर्स- गूगल)
Chamoli: इस बार उत्तराखंड के प्रसिद्ध बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में दीपावली के शुभ अवसर पर ऐतिहासिक और भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। बद्रीनाथ धाम में पहली बार 12,000 दीपक प्रज्वलित किए जाएंगे और मां लक्ष्मी को 56 प्रकार के भोग अर्पित किए जाएंगे। वहीं, केदारनाथ धाम में भी मंदिर परिसर, रास्तों और आसपास के क्षेत्रों को दीपों से सजाया जाएगा।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी ने जानकारी दी कि यह दीपोत्सव कार्यक्रम 20 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक चलेगा। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए बीकेटीसी, तीर्थ पुरोहित, हक-हकूकधारी, डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत, भंडारी और कमदी हक-हकूकधारी, साथ ही बदरीनाथ होटल एसोसिएशन मिलकर काम कर रहे हैं।
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दोनों धामों बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिर परिसरों को दीपों से सजाया जाएगा। इसके साथ ही मंदिरों के मार्गों और आसपास के क्षेत्रों को भी दीपों की रौशनी से रोशन किया जाएगा। यह पहला अवसर होगा जब चारधाम यात्रा के दौरान दीपावली पर इतना भव्य आयोजन देखने को मिलेगा।
बीकेटीसी अध्यक्ष द्विवेदी ने बताया कि दीपावली और केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिरों को 12 क्विंटल ताजे फूलों से सजाया जा रहा है। केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को बंद होंगे, जो इस यात्रा वर्ष का अंतिम दिन होगा। ऐसे में श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन विशेष भावनात्मक और धार्मिक महत्व रखता है।
केदारनाथ धाम में भव्य दीपोत्सव (सोर्स- गूगल)
दीपावली के दिन (सोमवार) को बद्रीनाथ और केदारनाथ दोनों धामों में विशेष लक्ष्मी पूजन, दीप प्रज्वलन, आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष आराधना की जाएगी और मंदिरों में रोशनी की अद्भुत छटा देखने को मिलेगी।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के विशेष निर्देश दिए हैं।
1. सभी प्रमुख प्रवेश द्वारों पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे।
2. मेडिकल इमरजेंसी के लिए टीम और एम्बुलेंस की व्यवस्था रहेगी।
3. धामों में प्रवेश और निकासी के लिए मार्गों को नियंत्रित किया जाएगा।
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यह दीपोत्सव उन श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव साबित होगा जो चारधाम यात्रा के अंत में इन धामों के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। साथ ही यह आयोजन उत्तराखंड पर्यटन को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा।