Sitapur: जिले की मंडी समिति में पिछले दस दिनों से किसानों की धान की ट्रालियों का तौल नहीं हो पा रहा है, जिससे किसानों की परेशानी बढ़ती जा रही है। लगातार हो रही बारिश के कारण कई किसानों का धान भीग चुका है और उसे समय पर मंडी में बेचने का उनका अवसर जोखिम में है। किसानों का कहना है कि प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे उनकी नाराजगी चरम पर है।
बारिश में भीगते धान और प्रशासन की नाकामी
स्थानीय भारतीय सिख संगठन के जिला अध्यक्ष गुरपाल सिंह ने किसानों के बुलावे पर मंडी समिति का दौरा किया। मौके पर स्थिति देखकर उन्होंने गहरा आक्रोश व्यक्त किया और कहा कि यह समस्या बेहद गंभीर है। उन्होंने जिलाधिकारी सीतापुर को तत्काल संदेश भेजकर समस्या से अवगत कराया। इसके बाद उपजिलाधिकारी सदर, डिप्टी आरएमओ सहित अन्य अधिकारी मंडी में पहुंचे।
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मंडी में घंटों बैठने के बावजूद भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला। गुरपाल सिंह ने चेतावनी देते हुए कहा, “यदि प्रशासन जल्द हमारी धान तौलने की समस्या का समाधान नहीं करता है, तो हम अपने ट्रालियों में आग लगा देंगे। और अगर जरूरत पड़ी तो हम खुद भी आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।” उनकी इस चेतावनी ने मंडी परिसर में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया।
किसानों ने बताया कि हर साल तौल में देरी की समस्या बनी रहती है, लेकिन इस बार स्थिति और भी गंभीर है। एक किसान ने रोते हुए कहा, “हमने अपनी पूरी मेहनत से धान उगाया है। अब हमें उसका उचित मूल्य मिलना चाहिए, लेकिन तौल न होने के कारण हम आर्थिक संकट में फंस गए हैं। कई किसान अपने कर्ज में डूब चुके हैं। प्रशासन हमारी सुन नहीं रहा है।”
किसानों के साथ जुड़े अन्य मुद्दे भी सामने आए हैं। कई किसान मंडी में आने और ट्रालियों का इंतजार करने के दौरान मौसम की मार झेल रहे हैं। लगातार बारिश में धान की फसल खराब होने का खतरा है, जबकि मंडी के अधिकारियों का कहना है कि तौल करने वाले यंत्र तकनीकी खराबी के कारण काम नहीं कर रहे हैं।
धान तौलने का इंतजार कर रहे किसानों का धैर्य टूटा
किसान नेता गुरपाल सिंह का कहना है कि यह सिर्फ सीतापुर का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश में किसानों की आवाज अक्सर दब जाती है। “किसानों के साथ रोज कोई न कोई समस्या होती रहती है। देश में किसान की कोई सुनता नहीं। फसल उगाई जाती है, पर उसका उचित मूल्य नहीं मिलता। हमें सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है।”
स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल केवल आश्वासन दिया है कि तकनीकी समस्या का समाधान जल्द किया जाएगा और तौल प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। लेकिन किसानों का कहना है कि आश्वासन उनकी समस्या का समाधान नहीं कर सकता। “हमारे धान की हालत खराब हो रही है, हमें तत्काल कार्रवाई चाहिए। नहीं तो हमारी मजबूरी बढ़ेगी,” किसानों ने चेतावनी दी।

