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UP Panchayat Chunav 2026: यूपी पंचायत चुनाव से पहले बड़ा ऐलान, जानें कैसे खत्म होगा आरक्षण का विवाद?

उत्तर प्रदेश में साल 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियों ने अब रफ्तार पकड़ ली है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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UP Panchayat Chunav 2026: यूपी पंचायत चुनाव से पहले बड़ा ऐलान, जानें कैसे खत्म होगा आरक्षण का विवाद?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में साल 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियों ने अब रफ्तार पकड़ ली है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया है, जो चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और विवादमुक्त बनाने की दिशा में निर्णायक साबित हो सकता है।

राज्य कैबिनेट की बैठक में अहम फैसला

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, सरकार ने पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के आरक्षण को लेकर राज्य स्तरीय पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह आयोग पूरे प्रदेश की पंचायतों में ओबीसी आरक्षण की सीमा तय करेगा और इसकी निगरानी में सीटों का निर्धारण किया जाएगा।

57,695 पंचायतों में होगा चुनाव

पंचायती राज विभाग के अनुसार, आगामी चुनाव में राज्य की 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव कराया जाएगा। सीटों का सामान्य निर्धारण पहले ही हो चुका है, लेकिन अब आरक्षण प्रक्रिया की शुरुआत की जा रही है, जिसमें खासतौर से ओबीसी वर्ग के लिए तय आरक्षण आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया जाएगा।

नगर निकाय चुनाव में उठा था विवाद

पिछले नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर कानूनी विवाद सामने आए थे। आरक्षण तय करने में आयोग की देरी के कारण चुनावों को टालना पड़ा था। इससे सबक लेते हुए योगी सरकार ने पंचायत चुनावों से पहले ही ओबीसी आयोग के गठन की पहल कर दी है, जिससे समय पर चुनाव कराए जा सकें और किसी भी तरह का विवाद न हो।

भ्रम और विवाद से मिलेगा छुटकारा

सरकार का मानना है कि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य जैसे पदों पर आरक्षण तय किए जाएंगे। इससे न केवल चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि आरक्षण को लेकर जनता में भ्रम और असमंजस की स्थिति भी नहीं बनेगी। वर्तमान संकेतों के अनुसार, पंचायत चुनाव 2026 के मार्च या अप्रैल में कराए जाने की संभावना है। सरकार की यह तैयारी बताती है कि इस बार चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।  योगी सरकार का यह कदम ना केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक ठोस पहल माना जा रहा है।

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