Unnao Rape Case: क्या 2027 के यूपी चुनाव का मोहरा है सेंगर? राजनीतिक गलियारों से उठ रहे कई सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले में कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगाई। सात साल जेल में रहने के बाद भी सेंगर को राहत नहीं मिली। फैसला पीड़िता और न्याय की जीत है, यूपी की राजनीति में भूचाल मचा सकता है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 30 December 2025, 12:06 PM IST

Unnao: सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर को बड़ा झटका दिया है। चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने और जमानत देने के फैसले पर रोक लगा दी है। सेंगर सात साल से जेल में बंद हैं, और यह फैसला उनके लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। देशभर में इस केस को लेकर न्याय की मांग में लगातार प्रदर्शन होते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न्याय की दिशा में एक उम्मीद की किरण माना जा रहा है।

उन्नाव की राजनीतिक तस्वीर बदलने की संभावना?

कुलदीप सेंगर की राजनीति की नींव सामंती और जातीय प्रभाव पर टिकी हुई है। उनका राजनीतिक दबदबा खासकर उन्नाव जिले में कई विधानसभा सीटों पर साफ दिखता है। तीन विधानसभा सीटों से सेंगर चार बार जीत चुके हैं। चाहे वे बसपा, सपा या भाजपा में हों, उनका वोट बैंक स्थिर माना जाता है।

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सेंगर ने अपनी राजनीतिक यात्रा 2002 में बसपा से उन्नाव सदर से जीत से शुरू की थी। 2007 में उन्होंने बांगरमऊ सीट से सपा के टिकट पर जीत दर्ज की। 2012 में भगवंत नगर से भी सपा ने उन्हें चुनाव लड़वाया और सेंगर वहां से जीत गए। इसके बाद उन्होंने भाजपा में कदम रखा और 2017 में बांगरमऊ से भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की। उसी साल जून में नाबालिग से रेप का मामला सामने आया। 2019 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद और 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के लिए अलग से 10 साल की सजा दी गई। इस विवाद के बीच भाजपा ने सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

यूपी की राजनीति में हलचल क्यों?

राजनीति में सेंगर ने अपनी पत्नी संगीता सेंगर को भी आगे बढ़ाया। 2017 में संगीता सेंगर को फतेहपुर चौरासी से पंचायत जिला अध्यक्ष का चुनाव लड़वाकर जीत दिलाई गई। 2021 में भाजपा ने उन्हें फिर से टिकट देने का निर्णय लिया था, लेकिन आलोचनाओं के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने उनका टिकट रद्द कर दिया।

कांग्रेस ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय की जीत है। महिला इकाई की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि मोदी सरकार इस मामले में बेनकाब हुई है और अपराधियों को सजा मिलने में देरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह न्याय की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले कहा था कि नाबालिग के बलात्कारियों को दोषी पाए जाने पर फांसी दी जाएगी, लेकिन कई उदाहरणों में देखा गया कि अपराधियों को बचाने की कोशिश की गई।

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सेंगर का केस यूपी की राजनीति के लिए संवेदनशील बना हुआ है। उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। यह स्पष्ट है कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में सेंगर और उनके परिवार की राजनीतिक भूमिका अब और चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। उनके जातीय और सामंती प्रभाव को देखते हुए, राजनीतिक दलों की रणनीतियां भी प्रभावित हो सकती हैं।

2027 के यूपी चुनाव में क्या होगा?

हालांकि, इस पूरे मामले ने 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में सेंगर और उनके परिवार की भूमिका को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगले चुनाव प्रचार और चुनाव परिणाम के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि सेंगर का राजनीतिक असर कितना रहेगा। उनका जातीय और सामंती प्रभाव अभी भी क्षेत्र में देखा जाता है, लेकिन राजनीतिक दल अब अपनी रणनीतियों में सेंगर और उनके परिवार के राजनीतिक प्रभाव को ध्यान में रखकर कदम रखेंगे।

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए इसे पीड़िता और न्याय की जीत बताया। महिला इकाई की अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि यह मोदी सरकार के लिए भी चेतावनी है। उन्होंने कहा कि अपराधियों को सजा दिलाना और पीड़िताओं को न्याय देना ही लोकतंत्र की मजबूत नींव है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आगामी चुनाव प्रचार में सेंगर और उनके समर्थकों की गतिविधियों पर ध्यान रखा जाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता की सोच और वोटिंग पैटर्न सेंगर की राजनीतिक पकड़ को कितनी चुनौती देगा। इस पूरे परिदृश्य को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि 2027 के यूपी चुनाव के बाद ही स्पष्ट होगा कि सेंगर और उनके परिवार का राजनीतिक असर कितना मजबूत या कमजोर रहा।

Location : 
  • Unnao

Published : 
  • 30 December 2025, 12:06 PM IST