बिजनौर की बेबस मां का दर्द, गुलदार के आतंक में मासूम की मौत; वन विभाग की लापरवाही पर सवाल

उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के कोहरपुर गांव में तेंदुए के हमले में दो वर्षीय मासूम मयंक की दर्दनाक मौत ने एक मां की कोख उजाड़ दी है। आइए, इस घटना की पूरी दिल दहलाने वाली कहानी सब हेडिंग के साथ पढ़ते हैं। 

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 3 September 2025, 11:01 AM IST

Bijnor: मेरी आंखों के सामने वह मां थी, जिसका हर शब्द दर्द से चीखा; लेकिन कोई शब्द इस हृदयविदारक क्षण को पूरी तरह बयान नहीं कर सकता । उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के कोहरपुर गांव में तेंदुए के हमले में दो वर्षीय मासूम मयंक की दर्दनाक मौत ने एक मां की कोख उजाड़ दी है। आइए, इस घटना की पूरी दिल दहलाने वाली कहानी सब हेडिंग के साथ पढ़ते हैं।

युवक मां का करुण आह्वान और मातृत्व की पुकार

बिजनौर की यह तस्वीर आज नहीं आनी चाहिए थी  एक मां अपने कलेजे के टुकड़े को गोद में लिए कराह रही है, जिसका दर्द बस रो कर ही बयान हो सकता है। मां ने नौ महीने उसे कोख में रखा था, अब उसी को अपनी गोद में मृत पाकर उसकी ममता रो रही है।

गुलदार का आतंक: परिवार में मचा कोहराम

रामजीवाला गांव से कुछ दूरी पर, गुलदार ने मासूम मयंक को खेलते-खेलते खेत में उठाकर ले गया। भाई-भाई की चीख पाकर मयंक छोड़कर भाग गया, लेकिन तब तक उसने अमूल्य जान छीन ली थी। यह घटना गृहणी की सबसे बड़ी आस शिक्षा व उज्जवल भविष्य की को ध्वस्त कर गई।

गुलदार के आतंक में मासूम की मौत

वन विभाग की उदासीनता और ग्रामीणों की खामोश आक्रोश

स्थानीय लोग बार-बार गुलदार की मौजूदगी की सूचना वन विभाग को देते रहे, मगर विभाग “हाथ पर हाथ रखकर” बैठा रहा। अब एक मासूम की मौत के बाद ग्रामीणों में गुस्सा उफान पर है—उनका मानना है कि इंसान की मुस्कान से ज़्यादा जानवर की “कीमती” है, ऐसा ही वन विभाग का रवैया बताता है।

मुख्यमंत्री से प्रश्न: क्या आगे यही दर्द जारी रहेगा?

यह तस्वीर केवल एक वीडियो नहीं, बल्कि जीते-जीते हालात का वो दस्तावेज़ है जिसे मुख्यमंत्री खुद देखना चाहेंगे। क्या वह गारंटी दे सकते हैं कि ऐसी दुर्घटनाएं दोबारा नहीं होंगी? यह सवाल सिर्फ तस्वीर देखकर पूछने का है।

अब वन विभाग का फैसला, जागेगा या चैन की नींद सोयेगा?

जनता पूछ रही है: क्या वन विभाग के पास मापदंड व उपकरण नहीं हैं? क्यों ग्रामीणों की सुरक्षा बाकी रहते वह मासूमों की रक्षा करने में अशक्त दिखता है? यदि उन्हें तनख्वाह मिली है, तो जिम्मेदारी निभाएं—आवारा गुलदारों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करें, जनता को बचाएं।

इस खबर के माध्यम से हम यही चाहते हैं कि किसी और मां को यह दिन देखने को मजबूर न होना पड़े। अब यह वन विभाग व जिला प्रशासन की नींद से जागने की घड़ी है—या फिर वे भी जनता को राम-भरोसे छोड़ देंगे?

Location : 
  • Bijnor

Published : 
  • 3 September 2025, 11:01 AM IST