Paniyara: पनियरा नगर पंचायत में एक गंभीर विवाद ने स्थानीय प्रशासन और जनता का ध्यान खींचा है। कार्यालय सहायक दिग्विजय सिंह ने नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश चंद जायसवाल पर गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक को तहरीर दी। इस तहरीर के आधार पर पनियरा पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
घटना का विवरण
जानकारी के अनुसार, दिग्विजय सिंह, जो ग्राम सोहास के निवासी और नगर पंचायत कार्यालय सहायक हैं, 24 अक्टूबर को कार्यालय पहुंचे। उन्होंने समय से हस्ताक्षर किए और जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र से संबंधित कार्य के लिए कार्यालय से बाहर गए। इसी दौरान अध्यक्ष उमेश चंद जायसवाल कार्यालय पहुंचे और कथित रूप से गाली-गलौज करते हुए दिग्विजय के हस्ताक्षर काटकर उन्हें गैरहाजिर घोषित कर दिया।
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दिग्विजय के अनुसार, जब वे वापस लौटे और गैरहाजिर होने का कारण पूछा, तो अध्यक्ष ने उन्हें गाली देने के साथ जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान वहाँ मौजूद विकेंद्र कुमार और श्रवण ने बीच-बचाव किया, लेकिन अध्यक्ष ने उन्हें भी जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया।
प्रशासन की कार्रवाई
पनियरा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह ने बताया कि दिग्विजय की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। यह मुकदमा उच्च अधिकारियों के आदेश पर दर्ज किया गया है और सीओ सदर द्वारा इसकी जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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कार्यालय सहायक दिग्विजय सिंह ने चेयरमैन उमेश चंद जायसवाल पर गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। दोनों पक्षों पर पहले से ही मुकदमे, चर्चा का माहौल गरम।#Panira… pic.twitter.com/8oRnPnKPqp
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 28, 2025
दोनों पक्षों के खिलाफ दर्ज मुकदमे
इससे पहले नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश चंद जायसवाल की तहरीर पर भी दिग्विजय सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। अब दिग्विजय की ओर से भी मामला दर्ज होने से नगर पंचायत में राजनीतिक और प्रशासनिक तनाव बढ़ गया है।
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क्षेत्र में चर्चा
पनियरा नगर पंचायत में यह विवाद जनता और कर्मचारियों के बीच चर्चा का मुख्य विषय बन गया है। दोनों पक्ष सत्ता और प्रशासन से जुड़े होने के कारण मामले का हल किस दिशा में होगा, यह देखने वाली बात है।
पनियरा नगर पंचायत का यह विवाद यह दर्शाता है कि प्रशासनिक पद पर बैठे लोग भी व्यक्तिगत मतभेदों और सत्ता संघर्ष में सार्वजनिक विवाद का कारण बन सकते हैं। अब यह मामला सीओ सदर की जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि दोषी कौन और किस हद तक जिम्मेदार हैं।

