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2027 से पहले एक्टिव हुई सपा, वोटर लिस्ट और मेलों के बहाने मुस्लिम वोटर्स को साधने की तैयारी?

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां अभी से तेज हो गई हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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2027 से पहले एक्टिव हुई सपा, वोटर लिस्ट और मेलों के बहाने मुस्लिम वोटर्स को साधने की तैयारी?

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां अभी से तेज हो गई हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) ने अभी से चुनावी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है और इसकी शुरुआत वोटर लिस्ट सुधार के मुद्दे से हुई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी इस बार वोटर लिस्ट की हर गड़बड़ी को चुनौती देगी।

लखनऊ में अल्पसंख्यक मोर्चा की बैठक

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अखिलेश यादव ने लखनऊ में अल्पसंख्यक मोर्चा की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने कहा कि भाजपा ने फर्जी वोट बनवाकर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया है। सपा इन फर्जी वोटों पर आपत्ति दर्ज कराएगी और साथ ही अपने समर्थकों को जागरूक करेगी कि वे वोटर लिस्ट में अपना नाम जरूर चेक करें और ज़रूरत हो तो संशोधन कराएं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव इस बयान के जरिए मुस्लिम मतदाताओं को यह संकेत दे रहे हैं कि वे वोटर लिस्ट में अपना नाम समय से पहले जांच लें। क्योंकि बीते कुछ उपचुनावों में कई मुस्लिम मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब होने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। ऐसे में सपा इस वर्ग को साधने के लिए एक लंबी रणनीति पर काम करती नजर आ रही है।

अखिलेश यादव की रणनीति में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की झलक भी देखने को मिल रही है। राहुल गांधी भी पिछले कुछ महीनों से वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों की बात उठा चुके हैं। उन्होंने इस पर लेख भी लिखा था, जिसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सियासी घमासान मचा था।

सिर्फ वोटर लिस्ट ही नहीं, अखिलेश ने मेले बंद होने के मुद्दे को भी उठाया और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बहराइच और बाराबंकी जैसे इलाकों में मेलों को बंद कराया जा रहा है, जो भाईचारे और मेलजोल का प्रतीक होते हैं। सपा प्रमुख ने कहा, “मेला कारोबार और सद्भाव का स्थान है, मगर भाजपा खुशियों के खिलाफ है।”

अखिलेश यादव के इन बयानों से साफ है कि समाजवादी पार्टी चुनाव से पहले जमीनी मुद्दों और सामाजिक एकता के बहाने से अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।

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