Mau News: जब कानून के रखवाले ही कानून तोड़ने लगें, तो आम आदमी की सुरक्षा और न्याय की उम्मीद सबसे बड़ा सवाल बन जाती है। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में एक ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को कठघरे में खड़ा कर दिया है। सरायलखंसी थाना क्षेत्र के ताजपुर उस्मानपुर गांव की रहने वाली एक महिला ने पुलिस पर गर्भपात कराने, परिवार की पिटाई करने, बेटी के साथ अभद्रता करने और जबरन फर्जी मुकदमे में फंसाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता रीता देवी (उम्र 40 वर्ष, पत्नी रामजतन यादव) द्वारा अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र के आधार पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट ने सरायलखंसी थाने के तत्कालीन प्रभारी शैलेश सिंह समेत कुल 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया है।
जमीन विवाद बना उत्पीड़न की वजह
पीड़िता के अधिवक्ता प्रमोद कुमार शर्मा के मुताबिक, रीता देवी का अपने पड़ोसी रामभवन यादव और श्रीकांत यादव से सरकारी नाली और खड़ंजा को लेकर विवाद चल रहा था। इस संबंध में रीता देवी ने जिलाधिकारी को लिखित शिकायत दी थी। जांच में आरोप सही पाए गए। लेकिन इसके बाद हालात बिगड़ते चले गए। आरोप है कि रामभवन यादव के रिश्तेदार और पिपरीडीह चौकी के तत्कालीन प्रभारी केसर यादव ने लगातार पीड़िता और उसके परिवार को धमकाना शुरू कर दिया।
पुलिस का कथित हमला
23 मार्च 2025 को रीता देवी के घर पर आतंक का मंजर देखा गया। पीड़िता के अनुसार, लगभग 20 पुलिसकर्मी उनके पड़ोसी की छत से कुर्सी लगाकर उनके घर में जबरन दाखिल हो गए। दरवाजा तोड़ा गया, बच्चे बेरहमी से पीटे गए, बेटी के साथ अभद्रता की गई और पूरे परिवार को घसीटते हुए गांव के सामने थाने ले जाया गया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया है।
थाने में मारपीट और जबरन दस्तखत की कोशिश
रीता देवी ने आरोप लगाया कि थाने में न केवल उन्हें और उनके परिवार को बेरहमी से पीटा गया, बल्कि खाली स्टांप पेपर पर जबरन दस्तखत भी करवाने की कोशिश की गई। विरोध करने पर फिर से मारपीट की गई, जिससे पीड़िता का गर्भपात हो गया। हालत बिगड़ने पर उन्हें पहले जिला अस्पताल और फिर बीएचयू रेफर किया गया।
जांच में खुली पुलिस की पोल
शुरुआत में जिला प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जब यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आया तो पुलिस अधीक्षक ने गहराई से जांच कराई। जांच में स्पष्ट हुआ कि पुलिस की कार्रवाई एकतरफा और संदेहास्पद थी। इसके बाद कोर्ट में दाखिल याचिका के आधार पर सीजेएम कोर्ट ने 20 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
FIR का सामना करने वाले पुलिसकर्मी
•शैलेश सिंह (तत्कालीन थानाध्यक्ष)
•काशीनाथ चंदेल (एसआई)
•केसर यादव (तत्कालीन चौकी प्रभारी, पिपरीडीह)
•विक्की कुमार, कोमल कसौधन (एसआई)
•प्रभाकर सिंह (हेड कांस्टेबल)
•जयप्रकाश गोंड, अनुराग पाल, मनीष यादव (सिपाही)
•उत्तम मिश्रा (महिला सिपाही)
•ऊषा जायसवाल (महिला होमगार्ड)
•दुर्गविजय यादव (होमगार्ड)
•एवं अन्य 6-7 अज्ञात पुलिसकर्मी

