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Maharajganj News: दिया तले अंधेरा, दो वर्षों से बंद पड़ा है ब्लाक परिसर में बना शौचालय, जानें पूरी खबर

सिसवा विकास खंड परिसर में लाखों की लागत से बना शौचालय दो वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी ख़बर
Post Published By: अरुण गौतम
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Maharajganj News: दिया तले अंधेरा, दो वर्षों से बंद पड़ा है ब्लाक परिसर में बना शौचालय, जानें पूरी खबर

महराजगंज: एक तरफ जहां केंद्र और प्रदेश सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं सिसवा विकास खंड कार्यालय परिसर में लाखों रुपये की लागत से बना सामुदायिक शौचालय दो वर्षों से बंद पड़ा हुआ है। यह स्थिति न केवल सरकारी संसाधनों के बर्बादी की पोल खोल रही है, बल्कि परिसर में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों और विशेषकर महिलाओं के लिए गंभीर असुविधा का कारण भी बनी हुई है।

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, सिसवा ब्लॉक परिसर में दो वर्ष पूर्व लाखों की लागत से एक शौचालय का निर्माण कराया गया था लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज तक उस शौचालय को आम लोगों के उपयोग के लिए खोला ही नहीं गया। लंबे समय से बंद पड़े होने के कारण शौचालय के दरवाजे, दीवारें और सीटें अब टूट-फूट का शिकार हो चुकी हैं। इसके अलावा, परिसर में एक अन्य शौचालय भी है, जिसका आधा दरवाजा पहले ही टूट चुका है, जिससे उसकी उपयोगिता सीमित हो गई है।

महिला कर्मचारियों को हो रही परेशानी

वहीं इससे सबसे अधिक परेशानी महिला ग्राम प्रधानों, बीडीसी सदस्यों और महिला कर्मचारियों को हो रही है, जिन्हें परिसर में शौचालय की कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। यही नहीं, इसी परिसर में बाल विकास परियोजना कार्यालय भी स्थित है, जहां प्रतिदिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं आती-जाती रहती हैं। ऐसे में साफ-सफाई और बुनियादी सुविधा के अभाव में उन्हें काफी असुविधा होती है।

हैरान करने वाली बात यह है कि बीडीओ, ब्लॉक प्रमुख और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इसी परिसर में नियमित रूप से मौजूद रहते हैं, फिर भी इस गंभीर समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि बंद पड़े शौचालय को तत्काल खोला जाए और टूट-फूट की मरम्मत कर इसे उपयोग के योग्य बनाया जाए। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोबारा न हो।

इस संबंध में स्थानीय लोगों को कहना है कि अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो सरकारी योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएंगी।

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