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हाईकोर्ट का फैसला: धार्मिक परंपराओं पर नहीं लग सकती मामूली कारणों से रोक, जानें पूरा मामला

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कहा कि सांस्कृतिक सौहार्द बढ़ाने वाली पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं को राज्य सरकार मामूली कारणों से नहीं रोक सकती। यह टिप्पणी बहराइच की दरगाह शरीफ पर जेठ मेले की अनुमति न मिलने के मामले में की गई, जहां कोर्ट ने प्रशासन की आशंकाओं को निराधार बताते हुए धार्मिक आयोजन को जायज़ ठहराया।
Post Published By: Asmita Patel
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हाईकोर्ट का फैसला: धार्मिक परंपराओं पर नहीं लग सकती मामूली कारणों से रोक, जानें पूरा मामला

Lucknow News: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर साल लगने वाले ‘जेठ मेले’ और उर्स को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि लंबे समय से चली आ रही धार्मिक परंपराओं पर राज्य सरकार केवल छोटी-छोटी आशंकाओं के आधार पर रोक नहीं लगा सकती, खासकर तब जब ये प्रथाएं समाज में सांस्कृतिक सौहार्द को बढ़ावा देती हों।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच और अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिकाओं में दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स की अनुमति को जिलाधिकारी द्वारा नकारे जाने को चुनौती दी गई थी। अदालत ने इस मामले में 17 मई को पारित अंतरिम आदेश में पारंपरिक गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दी थी और फैसला सुरक्षित कर लिया था।

राज्य सरकार की दलीलें

सरकार ने कोर्ट में कहा कि बहराइच स्थित दरगाह शरीफ भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है, जो एक अत्यंत संवेदनशील इलाका है। राज्य का कहना था कि इस क्षेत्र से राष्ट्रविरोधी और संदिग्ध तत्वों के घुसपैठ की आशंका हमेशा बनी रहती है, खासकर उर्स जैसे बड़े आयोजनों के दौरान जब बड़ी संख्या में लोग सीमा पार से आते हैं। इसके साथ ही सरकार ने पहलगाम में हाल ही में हुए पर्यटकों पर हमले का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान में पाकिस्तान के साथ भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। यदि कोई आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है, तो मेला क्षेत्र को ब्लैकआउट करना कठिन हो सकता है, जिससे प्रशासनिक चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

कोर्ट का जवाब और आदेश

अदालत ने इन दलीलों को सुनने के बाद कहा कि 17 मई को पारित अंतरिम आदेश के बाद जब दरगाह पर पारंपरिक धार्मिक गतिविधियां संपन्न हुईं तो उस दौरान कोई भी असामाजिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि सामने नहीं आई। शांति और सौहार्द कायम रहा, जिससे यह सिद्ध हो गया कि राज्य सरकार की आशंकाएं निर्मूल थीं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उर्स की अनुमति न देने का जो आदेश जिलाधिकारी द्वारा पारित किया गया था, वह अब अप्रभावी हो गया है क्योंकि मेला अवधि समाप्त हो चुकी है। इसके साथ ही कोर्ट ने दरगाह शरीफ की प्रबंधन समिति को निर्देशित किया कि भविष्य में मेला आयोजन के दौरान सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था को मजबूत किया जाए। इसके अंतर्गत प्रवेश द्वारों और महत्वपूर्ण स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने को कहा गया है।

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