जालौन: आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एक्टू) ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है। एक्टू के नेता का. रामसिंह चौधरी के नेतृत्व में का. शिवबालक बाथम, लखनलाल राज, सुरेशचंद्र, नरेंद्र कुमार, मोंटू वर्मा और का. देवेंद्र चौधरी ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को सौंपा। इस दौरान उन्होंने विद्युत संयुक्त कर्मचारी परिषद उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, इस ज्ञापन में बताया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का प्रयास कर्मचारियों और जनता के हितों के खिलाफ है। एक्टू ने आरोप लगाया कि सरकार कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार का संवाद स्थापित करने से बच रही है। सरकार द्वारा निजीकरण के समर्थन में दिए जा रहे तर्कों को एक्टू ने कल्पित और फर्जी करार दिया। उनका कहना है कि ये तर्क केवल निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए गढ़े गए हैं और सरकार के पास कर्मचारी नेताओं के तथ्यों का जवाब देने का नैतिक साहस नहीं है।
एक वर्ष से विद्युत कर्मचारी चला रहे आंदोलन
बता दें कि पिछले एक वर्ष से विद्युत कर्मचारी लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे हैं। इस आंदोलन ने कर्मचारियों के धैर्य, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा को पूरे प्रदेश की जनता के सामने स्थापित किया है। फिर भी, सरकार कर्मचारियों के दमन पर उतारू है। एक्टू ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया और कहा कि यह जनता द्वारा चुनी गई सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग है। साथ ही, यह संविधान द्वारा प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकारों और प्रचलित नियमों का उल्लंघन भी है।
विशेष रूप से, यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) (पंचम संशोधन) विनियमावली 2025 में 22 मई 2025 को किए गए संशोधन को एक्टू ने कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताया। इस संशोधन को उन्होंने अलोकतांत्रिक और दमनकारी करार दिया, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को मनमाने ढंग से निष्कासित करने की शक्ति हासिल करना है। एक्टू का कहना है कि यह कदम जनता के पैसे से बने बिजली के ढांचे को निजी उद्योगपतियों को सौंपने की साजिश का हिस्सा है, ताकि निजीकरण के खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाया जा सके।
इसके अलावा, अयोध्या में कर्मचारी नेताओं पर धरना देने के उनके लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग करने के लिए उत्पीड़न और भय पैदा करने का आरोप भी लगाया गया है। एक्टू ने सरकार से मांग की है कि वह कर्मचारियों के साथ संवाद स्थापित करे, निजीकरण की प्रक्रिया को रोके और कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान करे।

