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गोरखपुर सुरों में डूबा: किशोर दा की यादों से झूम उठा शहर, “अपनी तो जैसे-तैसे” संगीत संध्या ने रच दिया जादू

गोरखपुर में "अपनी तो जैसे तैसे" संगीतमयी संध्या के तहत किशोर कुमार के अमर गीतों की प्रस्तुति हुई। जिसमें कलाकारों ने शहरवासियों को सुरों के स्वर्णिम युग में लौटा दिया। क्रिएटिव फ्रेंड्स सोसाइटी और सक्षम उत्तर प्रदेश के आयोजन में सजी इस संगीत संध्या ने संस्कृति, भावना और यादों का अनुपम संगम रचा।
गोरखपुर सुरों में डूबा: किशोर दा की यादों से झूम उठा शहर, “अपनी तो जैसे-तैसे” संगीत संध्या ने रच दिया जादू

Gorakhpur News: गोरखपुर ने सोमवार की रात एक संगीतमयी स्वर्णिम युग में प्रवेश किया। जब गोरखनाथ क्षेत्र स्थित एक मैरिज हॉल में किशोर कुमार के अमर गीतों से सजी “अपनी तो जैसे-तैसे” संगीतमयी संध्या का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम ने न केवल संगीत प्रेमियों को भावविभोर किया। बल्कि यह शाम शहर के सांस्कृतिक इतिहास में भी दर्ज हो गई। यह आयोजन क्रिएटिव फ्रेंड्स सोसाइटी और सक्षम उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। जिसमें संगीत, स्वर और संवेदना का ऐसा संगम हुआ कि हर गीत ने दर्शकों को किशोर दा की कालजयी आवाज़ में डुबो दिया।

स्वरों से सजी शाम, मंच पर उतरा किशोर युग

शाम की शुरुआत से ही माहौल में उत्साह और संगीत की मिठास घुलने लगी। जब मंच से “रूप तेरा मस्ताना”, “जीवन के सफर में”, “जिंदगी एक सफर है सुहाना” और “मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू” जैसे गीतों की तान छेड़ी गई तो दर्शक खुद को रोक नहीं पाए और झूमने लगे।

दर्शकों ने दिया भरपूर साथ

कार्यक्रम की सूत्रधार बनीं वरिष्ठ उद्घोषक डा. संजयपति त्रिपाठी, जिनकी ओजपूर्ण, भावनात्मक और हल्के-फुल्के हास्य से भरपूर शैली ने पूरी संध्या को एक जीवंत और यादगार अनुभव बना दिया। गीतों की प्रस्तुतियों में शामिल कलाकारों हरीश हंस, बबिता, जान्हवी, डा. टी.वी.एम. त्रिपाठी, डॉ. सोहन गुप्ता, संजय जायसवाल ने अपने सधी हुई गायकी से हर गीत को जैसे किशोर दा की आत्मा से जोड़ दिया। उनके सुरों ने ऐसा जादू बिखेरा कि सभागार लगातार तालियों से गूंजता रहा।

संगीत के जरिए जुड़ी पीढ़ियां

कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अमित मिश्र और मुख्य अतिथि डा. डीके गुप्ता ने की। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “संगीत वह पुल है जो पीढ़ियों को जोड़ता है और किशोर दा उस पुल के सबसे चमकते सितारे हैं।” संगीत की इस शाम को संयोजित करने वाले हरीश-बबिता हंस ने इसे “गोरखपुर की सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव” कहा और सभी सहभागियों, अतिथियों और दर्शकों का आभार जताया।

गोरखपुर की सांस्कृतिक हस्तियां रहीं मौजूद

इस मौके पर शहर की कई नामचीन हस्तियां भी मौजूद रही। जिनमें प्रमुख
विवेक श्रीवास्तव, सत्या पांडेय, सुधा मोदी, शैलेश त्रिपाठी ‘मोबाइल बाबा’, संदीप टेकड़ीवाल समेत शहर के कई साहित्य, संगीत और समाजसेवा से जुड़े लोग थे।

अंत में बहा भावनाओं का सैलाब

जब अंत में “चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना” और “अभी मुझ में कहीं” जैसे भावुक गीतों की प्रस्तुति हुई तो पूरा सभागार जैसे नॉस्टैल्जिया के भावसागर में डूब गया।तालियों की गूंज और आंखों की नमी, दोनों ने इस बात की गवाही दी कि गोरखपुर ने इस संगीतमयी रात में किशोर कुमार को फिर से जी लिया।

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