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कोटवाधाम से श्री सत्यनाम सेवा संस्थान द्वारा आयोजित पांच कोसी परिक्रमा यात्रा में श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया गया। यात्रा के दौरान प्रमुख धार्मिक स्थलों के दर्शन किए गए। स्वामी जगजीवन साहब की तपोस्थली पर पुष्पवर्षा की गई।
कोटवाधाम से निकाली गई पांच कोसी परिक्रमा यात्रा
Barabanki: बाराबंकी के कोटवाधाम से श्री सत्यनाम सेवा संस्थान द्वारा आयोजित पांच कोसी परिक्रमा यात्रा शनिवार को धूमधाम से निकाली गई। यात्रा का शुभारंभ कोटवाधाम के पश्चिम द्वार से किया गया, जहाँ पर महंत उमेंद्र बक्श दास ने श्री सत्यनाम के आशीर्वाद से इस यात्रा की शुरुआत की। यह परिक्रमा यात्रा कोटवाधाम से प्रारंभ होकर विभिन्न प्रमुख धार्मिक स्थलों से गुजरते हुए श्रद्धालुओं के हर्ष और श्रद्धा का प्रतीक बन गई।
कोटवाधाम से शुरू होकर यह यात्रा मदारपुर स्थित साहेब मोती दास के आश्रम, सरदहा धाम साहेब, और अहलाद दास के दर्शन करते हुए आगे बढ़ी। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं का स्वागत हर स्थान पर धूमधाम से किया गया। मदारपुर के महंत दीपक दास और कवि प्रेम दास ने श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया। इसके बाद यात्रा ने साहेब पीतांबर दास के दर्शन किए और भक्तों ने इस यात्रा में श्रद्धा और उत्साह के साथ भाग लिया।
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यात्रा के अगले पड़ाव पर श्रद्धालु स्वामी जगजीवन साहब की तपोस्थली साहेब पूरवा पहुंचे। यहाँ पर एमएलसी प्रतिनिधि दुर्गेश दीक्षित, बब्लू सिंह और नागेंद्र प्रताप सिंह सहित अन्य प्रमुख लोग मौजूद थे, जिन्होंने श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की। यह दृश्य अत्यंत भावुक और श्रद्धा से भरा हुआ था, जहाँ भक्तों ने स्वामी जगजीवन साहब के तपोस्थली पर नमन किया और कोटवाधाम वापस लौटने के लिए यात्रा को आगे बढ़ाया।
यात्रा के समापन के समय कोटवाधाम में एक विशाल आयोजन हुआ, जहाँ पर सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे। इस अवसर पर महंत सचिन दास, प्रेम दास, सत्यनाम दास, राघवेंद्र तिवारी, और अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे। सभी ने इस यात्रा के आयोजन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और श्रद्धालुओं के बीच एकता और भाईचारे का संदेश दिया। इस धार्मिक यात्रा में शामिल हुए सभी श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को अत्यधिक प्रेरणादायक और धार्मिक बताया।
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कोटवाधाम से निकाली गई यह पांच कोसी परिक्रमा यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं थी, बल्कि इसने एकता, भाईचारे और श्रद्धा का संदेश भी दिया। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से सभी स्थानों पर दर्शन किए और एक-दूसरे को प्यार और सम्मान दिया। इस यात्रा ने यह साबित किया कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए हम सभी एकजुट होकर आगे बढ़ सकते हैं।