Fatehpur: फतेहपुर में चिटफंड कंपनियों द्वारा ठगे गए निवेशकों का संघर्ष लगातार जारी है। नहर कॉलोनी परिसर में बुधवार को ‘ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार संगठन’ के बैनर तले हजारों निवेशकों ने एक बार फिर जोरदार प्रदर्शन किया। आंदोलन अपने 14वें महीने में प्रवेश कर चुका है, लेकिन अभी तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल सका है।
संगठन के जिलाध्यक्ष सूरजदीन विश्वकर्मा ने कहा कि “हम बीते एक वर्ष से अधिक समय से शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार और प्रशासन के वादे अब तक अधूरे हैं।” उन्होंने बताया कि संसद द्वारा पारित बड्स एक्ट 2019 (BUDS ACT 2019) निवेशकों को 180 दिनों में भुगतान की गारंटी देता है, फिर भी अधिकारी इस कानून का पालन नहीं कर रहे। उन्होंने इसे गरीबों, किसानों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों के साथ बड़ा अन्याय बताया।
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विश्वकर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन कार्यालय के साहूकारी पटल पर निवेशकों के आवेदन तो जमा किए जा रहे हैं, परंतु सील-मुहर युक्त रिसीविंग नहीं दी जा रही, जिससे निवेशक ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने मांग की कि कानून के अनुसार शिविर लगाकर पीड़ितों को भुगतान कराया जाए और ठग कंपनियों के दोषियों को जेल भेजा जाए।
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प्रदर्शन के दौरान अपर जिलाधिकारी (एडीएम) मौके पर पहुंचे और आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं पर जल्द सकारात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस मौके पर राकेश साहू, रामसरन दास, अम्बिका प्रसाद, सतीश कुमार, अमृत लाल, हरिओम, चन्द्रशेखर, दीपक सैनी, बलराम, विनोद, लवकेश कुमार सहित बड़ी संख्या में ठगी पीड़ित मौजूद रहे।
क्या होता है चिटफंड
“चिट” का अर्थ है एक लेनदेन (चाहे उसे चिट फंड, चिट, कुरी या किसी अन्य नाम से पुकारा जाए), जिसके द्वारा फोरमैन कई अंशदाताओं के साथ एक समझौता करता है कि उनमें से प्रत्येक एक निश्चित अवधि के लिए एक निश्चित राशि का अंशदान करेगा और लॉटरी या नीलामी द्वारा निर्धारित प्रत्येक अंशदाता अपनी बारी में एक निश्चित राशि का हकदार होगा।