लखनऊ में नशीले कफ सिरप की तस्करी का मामला अब बड़े राष्ट्रीय सिंडीकेट में बदल चुका है। ED ने यूपी से लेकर छह राज्यों तक फैले इस नेटवर्क पर मनी लांड्रिंग की जांच शुरू कर दी है।आरोपी शुभम जायसवाल से लेकर अन्य एजेंटों और सीए तक पर एजेंसी का शिकंजा कस रहा है।

अमित सिंह टाटा और आलोक सिंह और शुभम जायसवाल
Lucknow: लखनऊ में नशीले कफ सिरप की तस्करी का पर्दाफाश होते ही मामला तेजी से बड़ा रूप ले चुका है। यह पूरा नेटवर्क अरबों रुपये की अवैध सप्लाई चेन में बदल चुका है। केस पहले सिर्फ एक-दो जिलों तक सीमित माना जा रहा था। यह पूरे उत्तर भारत में फैले एक बड़े नेटवर्क में बदल गया है। इस तस्करी में फर्जी फर्में, बिलिंग कंपनियां और सरकारी सिस्टम में बैठे मददगार सबकी मिलीभगत सामने आ रही है। ईडी ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा रैकेट मानते हुए पूरे गैंग को बेनकाब करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस मामले में जांच के बाद कई ओर बड़े नामों का सामने आ सकते हैं।
इस पूरे सिंडीकेट में अरबों रुपये का खेल सामने आ रहा है और नशीले कफ सिरप को नेपाल और बांग्लादेश तक तस्करी के रूप में भेजे जाने का खुलासा हो चुका है। ईडी ने पूरे मामले में मनी लांड्रिंग का एंगल जोड़ते हुए जांच का दायरा यूपी से लेकर मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक बढ़ा दिया है। ईडी ने खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) से अब तक की गई सभी कार्रवाई का पूरा रिकॉर्ड मांगा है। इन दस्तावेजों के जरिये कंपनियों पर चाबुक चलेगा। इसके अलावा उन फर्मों पर भी कार्रवाई होगी जो सिर्फ कागजों पर चल रही थीं।
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FSDA ने नशीले कफ सिरप की तस्करी से जुड़े मामलों में एक दर्जन से ज्यादा जिलों में 118 FIR दर्ज कराई हैं। जिनमें वाराणसी में 38, जौनपुर में 16, कानपुर नगर में 8, गाजीपुर में 6 और अन्य जिलों में अलग-अलग हुए हैं। जांच में यह भी सामने आया कि कई जगह फर्जी फर्मों का संचालन किया जा रहा था, जिनका इरादा केवल बिलिंग के जरिए कोडीनयुक्त कफ सिरप को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजना था। जांच का दायरा छह राज्यों तक बढ़ा दिया है।
कई कंपनियां हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड में स्थित थीं और यहीं से सबसे ज्यादा कोडीनयुक्त कफ सिरप की सप्लाई होती थी। इसके बाद, यह माल बड़े नेटवर्क के जरिये तस्करी के लिए डायवर्ट कर दिया जाता था। लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच से नेपाल भेजा जा रहा था। वाराणसी और गाजियाबाद की फर्में इसे बांग्लादेश तक पहुंचा रही थीं। हर खेप की कीमत अरबों में थी।
झारखंड की एक दवा कंपनी बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही थी और उसका सुपर स्टॉकिस्ट आरोपी शुभम जायसवाल की फर्म सैली ट्रेडर्स थी। ईडी ने मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करते हुए शुभम जायसवाल के वाराणसी स्थित घर पर समन चस्पा किया है। उसे 8 दिसंबर को हाजिर होने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, ईडी ने एफएसडीए से भी पूरी रिपोर्ट मांगी है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि किन अधिकारियों की मिलीभगत से इस नेटवर्क को तैयार किया गया।
ईडी की टीम जल्द ही आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से जेल में पूछताछ करेगी। दोनों नशीले सिरप के बड़े खिलाड़ी बताए जा रहे हैं। इन दोनों के ठिकानों पर ईडी ने नोटिस चस्पा नहीं किया, क्योंकि उनकी पूछताछ सीधे जेल में तय की गई है। एजेंसी दोनों के बैंक खाते, संपत्तियों और फर्मों के लेनदेन का पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है। वहीं, दो चार्टर्ड अकाउंटेंट तुषार और विष्णु अग्रवाल को भी जांच के दायरे में लाया गया है क्योंकि ये दोनों पूरे सिंडीकेट की अवैध कमाई को वैध दिखाने में मदद कर रहे थे।
इस पूरे मामले में STF को विकास सिंह नरवे लखनऊ से लेकर आजमगढ़ तक चकमा दे रहा है। पिछले पांच दिनों से एसटीएफ उसकी तलाश में कई जगह छापे मार चुकी है लेकिन नरवे हर बार लोकेशन बदलकर भाग जा रहा है। विकास सिंह नरवे पर आरोप है कि इसने अमित सिंह टाटा की मुलाकात सरगना शुभम जायसवाल से कराई थी। मीडिया रिपोर्ट का दावा है कि चुनाव लड़ने की फिराक में घूम रहा नरवे पूर्व सांसद धनंजय सिंह का करीबी है और कई अभियुक्तों की तरह वह भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर छिपता फिर रहा है।