Lakhimpur Kheri: बुलंदी पर पहुंचा दुधवा टाइगर रिजर्व पार्क, गैंडा पुनर्वास परियोजना में नंबर वन

लखीमपुर खीरी का दुधवा टाइगर रिजर्व को बड़ी सफलता हाथ लगी है, जहां गैंडा पुनर्वास परियोजना में गैंडों की संख्या बढ़ गई है। पूरी खबर के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 13 May 2025, 3:42 PM IST

लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) में चल रही गैंडा पुनर्वासन योजना अपनी कामयाबी की बुलंदी छू रही है। यह इस बात से स्पष्ट हो गया है कि 41 साल के अंदर गैंडों की संख्या बढ़कर 51 हो गई है। हाल ही हुई गैंडों की गणना में यह आंकड़े सामने आए हैं।

 

लखीमपुर खीरी में बढ़ी गैंडा की जनसंख्या (सोर्स- रिपोर्टर)

 

दुधवा टाइगर रिजर्व में मौजूद है एक सींग वाले गैंडे
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक दुधवा नेशनल पार्क के दक्षिण सोनारीपुर रेंज में असम से लाए गए पांच गैंडों से वर्ष 1984 से शुरू की गई थी और अब गैंडा पुनर्वासन योजना को 41 साल पूरे हो चुके हैं। तमाम चुनौतियों के बावजूद दुनिया की यह विलक्षण पुनर्वासन योजना न केवल परवान चढ़ी, बल्कि सफलता के शीर्ष पर भी पहुंची है। आज हालात ये हैं कि काजीरंगा नेशनल पार्क के बाद के बाद दुधवा टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा एक सींग वाले गैंडे (Indian rhinoceros) हैं।

लगातार बढ़ती गई गैंडों की आबादी
इन 41 वर्षों में पुनर्वासन योजना में गैंडों की आबादी लगातार बढ़ती गई। अत:प्रजनन से होने वाले आनुवांशिक दोषों से बचाव के लिए भारत सरकार ने गैंडा पुनर्वासन योजना फेज टू को मंजूरी दी। करीब सात साल पहले 11 अप्रैल 2018 को चार गैंडों तीन नर और एक मादा को बेलरायां रेंज के छंगानाला में बनाए गए गैंडा पुनर्वासन योजना फेज टू में रखा गया।

 

दुधवा टाइगर रिजर्व (सोर्स- रिपोर्टर)

 

अब तक छोड़े गए चार गैंडे
यह गैंडा पुनर्वासन योजना का दूसरा चरण था। जिसमें भी कामयाबी मिली और फेज टू में भी गैंडों की आबादी बढ़नी शुरू हो गई है। तीसरे चरण में सौर ऊर्जा चालित बाड़ में रह रहे गैंडों को आजादी देने की प्रक्रिया शुरू हुई। जिसके तहत विशेषज्ञों की मौजूदगी में गैंडों को रेडियो कॉलर लगाकर जंगल में स्वछंद विचरण के लिए छोड़ा गया। अब तक चार गैंडे जंगल में छोड़े जा चुके हैं। अभी छह और गैंडों को छोड़ा जाना है।

दो नस्लों का मिलन है दुधवा का गैंडा परिवार
गैंडा पुनर्वासन योजना शुरू होने पर असम से चार मादा और एक नर गैंडा बांके को लाया गया था। बाद में अप्रैल 1985 में नेपाल से चार मादा गैंडा लाई गईं और एक राजू गैंडे को कानपुर चिड़ियाघर से लाया गया। नेपाल और आसाम के गैंडों के मिलने से इनकी आबादी बढ़ना शुरू हुई, जो अभी तक जारी है। उधर, गैंडा पुनर्वासन योजना फेज टू में भी नेपाल से भागकर आए नर गैंडा नेपोलियन को रखा गया है। अब गैंडों को आजाद छोड़ने से इनकी आबादी में बढ़ोतरी और नस्ल सुधार की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं।

Location : 
  • Lakhimpur Kher

Published : 
  • 13 May 2025, 3:42 PM IST