Greater Noida: एक तरफ जहां देश में छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य पर बहसें हो रही हैं, वहीं ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी से आई एक सनसनीखेज खबर ने सबको झकझोर दिया है। यहां बीडीएस सेकेंड ईयर की एक छात्रा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। लेकिन यह सिर्फ एक आत्महत्या नहीं है यह उस चुप्पी की चीख है जो संस्थानों की “प्रतिष्ठा” के नाम पर दबा दी जाती है।
क्या मौत के बाद भी छिपाई जा रही है सच्चाई?
छात्रा की मौत की सूचना न तो तुरंत परिवार को दी गई और न ही पुलिस को। मृतका के भाई के मुताबिक, उन्हें केवल इतना बताया गया कि “गुड़िया को कुछ हो गया है”। जब वे गुड़गांव से यूनिवर्सिटी पहुंचे, तब तक शव को पुलिस के बिना ही हॉस्पिटल ले जाया जा चुका था। “हमने ही पुलिस को सूचना दी…”, भाई की इस बात ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मां की चीख के पीछे छिपा दर्द
मृतका की मां ने यूनिवर्सिटी की फैकल्टी पर आरोप लगाया कि छात्रों पर बार-बार “फेल करने” की धमकी दी जाती है। “100 बच्चों को मेंटली टॉर्चर किया जाता है… मेरी बेटी ने फोन नहीं उठाया क्योंकि शायद वो टूट चुकी थी।” क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है या यूनिवर्सिटी सिस्टम के भीतर की एक सड़ी हुई परत?
न्याय की मांग पर लाठीचार्ज?
सबसे शर्मनाक पहलू ये है कि जब परिजनों ने जवाब मांगना शुरू किया, तब उन्हें जवाब में लाठियां दी गईं। “मेरे पति और बेटे को डंडे मारे गए…”, मृतका की मां की चीख एक पूरे तंत्र पर सवाल बनकर गूंज रही है।
पुलिस ने क्या कहा?
एडीसीपी सुधीर कुमार ने बताया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव का पंचनामा किया और दो लोगों को हिरासत में लिया है। FIR दर्ज कर ली गई है।
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