Bulandshahr: दिवाली के त्योहारी सीजन में जहां आम जनता मिठाइयों और रोशनी में डूबी थी, वहीं शराब प्रेमियों ने भी जाम छलकाकर जश्न को नया आयाम दे दिया। जिले में शराब की बिक्री ने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए। 19 से 24 अक्टूबर तक, महज छह दिनों में मदिराप्रेमियों ने कुल 10 करोड़ 47 लाख रुपये की शराब खरीदकर न केवल त्यौहार का मज़ा दोगुना कर दिया बल्कि आबकारी विभाग के राजस्व को भी भर दिया।
देशी शराब बनी बुलंदशहर की पहली पसंद
आंकड़ों के मुताबिक, दिवाली की बिक्री में सबसे बड़ी हिस्सेदारी देशी शराब की रही। मदिरावीरों ने कुल 5 करोड़ 19 लाख रुपये की देशी शराब खरीदकर पी। यह कुल बिक्री का लगभग 49.5 प्रतिशत हिस्सा है। इससे स्पष्ट है कि जिले के लोगों के लिए आज भी सस्ती और सुलभ देशी शराब ही पहली पसंद बनी हुई है।
अंग्रेजी शराब और बीयर के भी खूब उठे जाम
देशी शराब के बाद अंग्रेजी शराब ने भी बिक्री के आंकड़ों में मजबूत प्रदर्शन किया। छह दिनों में 3 करोड़ 47 लाख रुपये की अंग्रेजी शराब की बिक्री हुई। वहीं, ठंड की शुरुआत के बावजूद बीयर प्रेमी भी पीछे नहीं रहे, जिन्होंने 1 करोड़ 79 लाख रुपये की बीयर खरीद डाली। इन तीनों श्रेणियों की बिक्री मिलाकर कुल 10.47 करोड़ का आंकड़ा पार हो गया। आबकारी विभाग के अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि “त्योहारी सीजन में बंपर बिक्री की उम्मीद थी, लेकिन छह दिनों में इतना अधिक राजस्व जुटना वाकई रिकॉर्डतोड़ है।”
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औसतन हर घंटे 14.5 लाख की शराब बिकी
फेस्टिव सीजन के दौरान शराब की बिक्री का रफ्तार भी चौंकाने वाला रहा। 19 से 24 अक्टूबर के बीच प्रतिदिन औसतन 1 करोड़ 74 लाख रुपये की शराब बेची गई। अगर कार्य समय (12 घंटे प्रतिदिन) के हिसाब से देखा जाए तो हर घंटे लगभग 14 लाख 50 हजार रुपये की शराब गटक ली गई।
राजस्व में आई बंपर बढ़ोतरी से खुश हुआ विभाग
आबकारी विभाग के लिए यह बिक्री किसी बोनस से कम नहीं रही। विभाग को छह दिनों में जबरदस्त राजस्व प्राप्त हुआ है। जिला आबकारी अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि 19 अक्तूबर से 24 अक्तूबर के बीच देशी, अंग्रेजी शराब और बीयर की बिक्री 10.47 करोड़ रुपये रही। ग्रामीण अंचलों में देशी शराब की बिक्री अधिक रही, जिससे कुल राजस्व में इसका योगदान लगभग 49 प्रतिशत तक पहुंच गया।
देशी शराब बनी दिवाली की ‘क्वीन’
बुलंदशहर में मदिरा सेवन की परंपरा और रुचि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजी शराब और बीयर की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद देशी शराब ने अपना ‘राज’ कायम रखा। देशी शराब की 49.5 प्रतिशत हिस्सेदारी दर्शाती है कि आम आदमी अब भी अपनी पुरानी पसंद पर भरोसा करता है।
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फेस्टिवल सीजन में क्यों बढ़ी शराब की मांग?
विशेषज्ञों के अनुसार, महंगाई के दौर में देशी शराब लोगों को सस्ती और सुलभ लगती है। वहीं, त्यौहारों के अवसर पर दोस्तों और परिवार के साथ जश्न मनाने का चलन भी बढ़ा है। आबकारी विभाग का कहना है कि त्योहारों के दौरान मनोरंजन और सामाजिक मेलजोल के चलते शराब की खपत में स्वाभाविक रूप से इजाफा होता है।
आबकारी विभाग की नजर अब अगले सीजन पर
दिवाली सीजन की रिकॉर्डतोड़ बिक्री के बाद आबकारी विभाग अब क्रिसमस और नववर्ष पर भी ऐसी ही बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार 22 प्रतिशत ज्यादा शराब की बिक्री हुई है।

