Nautanwa: आस्था, विश्वास और शुद्धता के महापर्व छठ का समापन मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ। चार दिन तक चले इस पर्व के अंतिम दिन व्रती महिलाओं ने 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और जीवन में ऊर्जा की कामना की। इस दौरान घाटों पर श्रद्धा और भक्ति का अभूतपूर्व माहौल देखने को मिला।
सूर्योदय से पहले उमड़ा जनसैलाब
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मंगलवार की भोर होते ही नौतनवां क्षेत्र के विभिन्न घाटों- जैसे झरना ताल, पुरानी बस्ती तालाब, सेमरहवा पोखरा और अन्य अस्थाई घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाएं सिर पर पूजन सामग्री की डलिया लिए, माथे पर सिंदूर सजाए, गीत गुनगुनाती हुई घाटों की ओर प्रस्थान करती दिखीं। “उग हे सूर्य देव” और “कांच ही बांस के बहंगिया” जैसे पारंपरिक गीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय हो उठा।
उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूरा हुआ छठ व्रत, परिवार की कुशलता के लिए व्रती महिलाओं ने की प्रार्थना
महराजगंज: नौतनवा में लोक आस्था का महापर्व छठ मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। व्रती महिलाओं ने 36 घंटे के निर्जला उपवास के बाद भगवान भास्कर को दूध, जल और प्रसाद अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी आयु की कामना की। #Maharajganj… pic.twitter.com/PWO1EVsLU0
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 28, 2025
सज-धज कर पहुंचे श्रद्धालु
घाटों को दीपों और रंगीन झालरों से सजाया गया था। हर तरफ रोशनी और खुशियों का माहौल देखने को मिला। महिलाएं पारंपरिक साड़ियों में और पुरुष कुर्ता-पायजामा में सजे हुए परिवार सहित अर्घ्य देने पहुंचे। जल में खड़े होकर उन्होंने उगते सूर्य को दूध, गंगाजल, फूल और प्रसाद अर्पित किया। कई जगहों पर बच्चों और युवाओं ने भी माता-पिता के साथ मिलकर पूजा में भाग लिया।
36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत हुआ संपन्न
छठ पर्व की विशेषता इसका कठोर तप है। व्रती महिलाएं रविवार की शाम से निर्जला उपवास में थीं, जो मंगलवार सुबह अर्घ्य देने के बाद ही समाप्त हुआ। इस दौरान उन्होंने अन्न-जल तक ग्रहण नहीं किया। व्रतियों ने बताया कि यह पर्व सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि आत्मसंयम, शुद्धता और समर्पण का प्रतीक है।
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प्रशासन ने बनाए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की थी। नौतनवां नगर पंचायत की टीम ने सफाई अभियान चलाकर घाटों को स्वच्छ रखा। पुलिस बल भी लगातार गश्त करता नजर आया, ताकि किसी तरह की अव्यवस्था न हो।
सामाजिक समरसता का प्रतीक बना पर्व
छठ पूजा केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी संदेश देती है। हर वर्ग और समुदाय के लोग इस आयोजन में सहभागी बने। व्रतियों के सहयोग के लिए स्थानीय युवाओं और सामाजिक संगठनों ने भी जल वितरण, लाइटिंग और व्यवस्था में अहम भूमिका निभाई।
भक्ति और आस्था के साथ समापन
जैसे ही सूर्य की पहली किरणें आसमान में फैलीं, श्रद्धालुओं ने अर्घ्य अर्पित किया और “छठी मइया” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। इस प्रकार नौतनवां में छठ पर्व का समापन हर्ष और उल्लास के बीच हुआ, जिसमें आस्था, शुद्धता और सामाजिक एकता की अद्भुत मिसाल देखने को मिली।

