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Bikru Kaand News: बिकरू कांड के आरोपी थानेदार को कोर्ट से राहत! क्या फिर खुलेंगे विकास दुबे कनेक्शन के राज़?

चर्चित बिकरू कांड मामले में आरोपी चौबेपुर थाना क्षेत्र के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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Bikru Kaand News: बिकरू कांड के आरोपी थानेदार को कोर्ट से राहत! क्या फिर खुलेंगे विकास दुबे कनेक्शन के राज़?

कानपुर: चर्चित बिकरू कांड मामले में आरोपी चौबेपुर थाना क्षेत्र के तत्कालीन थानाध्यक्ष विनय तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। यह राहत उन्हें उनकी दूसरी जमानत अर्जी पर मिली है। कोर्ट ने यह फैसला सबूतों की कमी और लंबी ट्रायल प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए सुनाया।

कब हुई थी घटना?

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, यह मामला 8 जुलाई 2020 को घटित हुआ था, जब विकास दुबे और उसके साथियों ने कानपुर के बिकरू गांव में दबिश देने गई पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इसके बाद विनय तिवारी को 2020 में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था और तब से वह हिरासत में ही थे।

कहाँ का है मामला?

यह खबर प्रयागराज से सामने आई है, जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही थी। वहीं, मूल घटना कानपुर जिले के बिकरू गांव में हुई थी।

कौन है विनय तिवारी?

विनय तिवारी, जो उस वक्त चौबेपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक थे, पर आरोप था कि उन्होंने विकास दुबे को पुलिस छापे की सूचना पहले ही लीक कर दी थी, जिससे उसने पूर्व-नियोजित तरीके से पुलिस बल पर हमला किया। विनय तिवारी के खिलाफ सबूतों की स्पष्ट कमी, ट्रायल में देरी और अभियोजन पक्ष की ओर से अब तक पर्याप्त गवाहों की पेशी न हो पाने के कारण कोर्ट ने यह जमानत मंजूर की। 102 गवाहों में से अब तक सिर्फ 13 का परीक्षण हो पाया है, और इसी केस के अन्य कई आरोपी जैसे गुड्डन त्रिवेदी पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं।

विनय तिवारी की ओर से दलील दी गई कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि उन्होंने जानबूझकर विकास दुबे को सूचना दी थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ की एकल पीठ ने इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए दूसरी जमानत अर्जी को मंजूरी दे दी, हालांकि यह सशर्त जमानत है।

बिकरू कांड का राष्ट्रीय असर

8 जुलाई 2020 की रात यूपी पुलिस की टीम विकास दुबे को पकड़ने पहुंची थी, लेकिन वह पहले से तैयार था। हमले में DSP देवेंद्र मिश्रा, थानाध्यक्ष और सिपाही सहित 8 पुलिसकर्मी मारे गए। इसके बाद विकास दुबे को उज्जैन से पकड़कर लाते समय एनकाउंटर में मार गिराया गया। यह मामला केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि यूपी की कानून व्यवस्था और पुलिस तंत्र की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल बनकर उभरा था। अब जब मुख्य आरोपी विकास दुबे मर चुका है, तो सवाल यह है कि क्या अब सिस्टम में छिपे चेहरे उजागर होंगे या एक-एक कर सभी छूट जाएंगे? बिकरू कांड की गूंज आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी 2020 में थी।

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