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मनरेगा में बड़ा खेल उजागर: सचिव फिरोज आलम सिद्दकी के निलंबन के बाद उठी ये मांग, मामला पहुंचा लोकायुक्त

महराजगंज में मनरेगा योजना के तहत करोड़ों रुपये के गबन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जांच कमेटी ने भ्रष्टाचार की पुष्टि कर दी है, लेकिन कार्रवाई केवल सचिव तक सीमित रह गई है। सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रधान और अन्य जिम्मेदारों को क्यों बचाया जा रहा है?
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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मनरेगा में बड़ा खेल उजागर: सचिव फिरोज आलम सिद्दकी के निलंबन के बाद उठी ये मांग, मामला पहुंचा लोकायुक्त

Maharajganj: महराजगंज जनपद में मनरेगा योजनांतर्गत धनराशि के दुरुपयोग का एक बड़ा मामला सामने आया है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दाखिल जनहित याचिका संख्या 1201/2023 के बाद लोकायुक्त के आदेश पर आयुक्त गोरखपुर मंडल की त्रिस्तरीय जांच कमेटी ने इस घोटाले की तहकीकात की। जांच में खुलासा हुआ कि ग्राम पंचायत जोगिया में लाखों रुपये बिना कार्य किए ही निकाल लिए गए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, वर्ष 2020-21 में ग्राम पंचायत जोगिया में बाउंड्रीवाल निर्माण के लिए स्वीकृत 4,76,000 रुपये का कार्य कागजों पर दिखाकर धनराशि हजम कर ली गई। इसके अलावा टैक्सी स्टैंड पुल से मुन्ना पांडेय के खेत तक नाले के निर्माण का कार्य भी सिर्फ कागजों में दर्शाया गया और इस मद में 3,88,323 रुपये का भुगतान बिना कार्य के ही करा लिया गया।

जांच रिपोर्ट आने पर हुई कार्रवाई

जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद उपायुक्त (श्रम एवं रोजगार) महराजगंज गौरवेंद्र सिंह ने तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव फिरोज आलम को निलंबित कर दिया। हालांकि, इस कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों और शिकायतकर्ता उमेश प्रसाद का आरोप है कि निलंबन केवल सचिव तक सीमित करके तत्कालीन ग्राम प्रधान और अन्य संलिप्त अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।

केवल निलंबन की औपचारिकता पूरी

मनरेगा अधिनियम 2009 के तहत धन के दुरुपयोग की स्थिति में एफआईआर दर्ज कर ब्याज सहित वसूली करना आवश्यक होता है। इसके बावजूद अभी तक इस मामले में केवल सचिव का निलंबन हुआ है, जबकि बाकी दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया।

शिकायतकर्ता ने की ये मांग

शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त से मांग की है कि महराजगंज उपायुक्त के कार्यों की सतर्कता जांच कराई जाए और इस घोटाले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इस भ्रष्टाचार के पीछे बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। अब यह मामला तूल पकड़ता हुआ नजर आ रहा है और उम्मीद की जा रही है कि जांच एजेंसियां इस पर पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करेंगी। बता दें कि जांच में यह खुलासा हुआ कि ग्राम पंचायत जोगिया में लाखों रुपये बिना किसी कार्य के ही निकाले गए थे।

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