Badaun News: पहले बिल भरो फिर मिलेगा शव, परिजनों और पुलिस की झड़प

सडक हादसे मे घायल धर्मपाल को इतना दर्द तब नहीं हुआ जब वो हादसे मे घायल हुआ, और उसके परिवार को इतना सदमा तब नहीं लगा जब वो चौदहवे दिन इस दुनिया को अलविदा कह गया जितना सदमा उनको तब लगा जब अस्पताल ने उसकी डेड बॉडी देने से मना कर दिया।

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 20 December 2025, 9:57 PM IST

Badaun: बदायूं मे एक दिसंबर को सडक हादसे मे घायल धर्मपाल को इतना दर्द तब नहीं हुआ जब वो हादसे मे घायल हुआ, और उसके परिवार को इतना सदमा तब नहीं लगा जब वो चौदहवे दिन इस दुनिया को अलविदा कह गया जितना सदमा उनको तब लगा जब अस्पताल ने उसकी डेड बॉडी देने से मना कर दिया और कहा की धर्मपाल की लाश तब दी जायेगी जब तीन लाख दस हजार रुपये का बकाया बिल दे नहीं दिया जाता।

एक पिता के लिए दुनिया का सबसे बड़ा गम बेटे की लाश को कंधे पर उठाना होता है मगर यहाँ तो बेटे की लाश लेने के लिए भी जद्दोजहद बाकी थी। थक हार कर मजबूर बाप ने भीख मांग कर यह रकम जुटाई और अस्पताल जाकर बेटे की लाश लेने पंहुचा रकम मे तीस हजार रुपये कम थे इसलिए धरती के भगवान लाश देने को तैयार नहीं थे तब मजबूर बाप ने पुलिस का सहारा लिया और तब कहीं जाकर बेटे की लाश मिली और उसका अंतिमसंस्कार हुआ। अपने बेटे की लाश पाने को मजबूर पिता ने डेढ़ लाख रुपये मे अपना घर भी गिरबी रख दिया। ना बेटा बचा ना आशियाना इस दृश्य को देख कर खुद श्रष्टि की रचना करने वाले ब्राह्म जी भी काँप गए होंगे और ऐसा कोई पत्थर दिल होगा जो रो ना पड़ा हो।

मामला बदायूं के दातागंज कोतवाली के नगरिया के रहने वाले धर्मपाल से जुडा है जो एक दिसंबर को एक सडक दुर्घटना मे घायल हुआ था सरकारी अस्पताल मे सही इलाज ना मिल पाने के कारण परिजन उसको बरेली के निजी अस्पताल ओमेगा हॉस्पिटल पहुचे जहाँ इलाज के नाम पर पहले ही तीन लाख रुपये लें लिए गए। इलाज 14 दिन तक चला और बिल बढ़कर 3 लाख दस हजार और हो गया इसके बाद कह दिया गया की आपका बेटा मर गया है अस्पताल का बाकी तीन लाख दस हजार का भुगतान करके उसकी लाश ले लो मजबूर पिता ने बहुत मनुहार की गिड़गिड़ाया मगर असर कुछ ना हुआ।

मायूस पिता बिना बेटेकी लाश लिए गाँव आ गया और डेड लाख मे घर गिरबी रख दिया रकम फिर भी कम थी तो लोगो से कुछ उधार लिया और बाकी रकम के लिए सड़को पर भीख माँगना पड़ी इस परीक्षा के आगे सत्यवादी हरिश्चंद्र की परीक्षा भी फीकी पड़ गयी। बेटे की लाश लेने को मजबूर बाप अस्पताल गया और दो लाख अस्सी हजार की रकम जमा कर दी मगर अस्पताल के निष्ठुर डॉक्टर ने तीस हजार रु और मांगे तब पुलिस को जानकारी दी गयी तब कहीं बेटे की लाश मिली और गाँव लाकर उसका अंतिम संस्कार हुआ। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है की आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है। और मानवता क्या सिर्फ कागजो और सोशल मीडिया पर ही जिन्दा है।

Location : 
  • Badaun

Published : 
  • 20 December 2025, 9:57 PM IST