आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की कानूनी मुश्किलें बढ़ गई हैं। दो पैन कार्ड मामले में अभियोजन ने सजा बढ़ाने की अपील की है, जबकि अब्दुल्ला को दो पासपोर्ट केस में भी 7 साल की सजा सुनाई गई। दोनों मामलों पर 23 दिसंबर को फैसला आएगा।

आजम और अब्दुल्ला की बढ़ सकती मुश्किलें!
Rampur: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो पैन कार्ड और दो पासपोर्ट मामले में कानूनी मुश्किलें लगातार गहराती जा रही हैं। एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा सुनाई गई सात-सात साल की सजा के बाद अब अभियोजन पक्ष ने इन मामलों में सजा बढ़ाने की मांग करते हुए सेशन कोर्ट में अपील दायर कर दी है। दूसरी ओर, बचाव पक्ष सजा में राहत और जमानत की याचिका लेकर कोर्ट पहुंचा है। अब दोनों पक्षों की दलीलों पर अदालत 23 दिसंबर को महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगी।
एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कुछ दिन पहले आजम खां और अब्दुल्ला आजम को दो-दो पैन कार्ड के मामले में 7 साल की सजा और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना सुनाया था। यह फैसला आने के बाद दोनों नेताओं ने सेशन कोर्ट में अपील दायर करते हुए निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी। हालांकि, इस केस में नया मोड़ तब आया जब अभियोजन पक्ष ने सेशन कोर्ट में एक और प्रार्थना पत्र दायर कर सजा बढ़ाने की मांग की।
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उधर, आजम खां के अधिवक्ताओं ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील पर अतिरिक्त आधार दाखिल करते हुए कहा कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का है और सजा अत्यधिक है। इसके साथ ही जमानत के लिए भी आवेदन दिया गया है। एडीजीसी ने बताया कि बचाव और अभियोजन की सभी याचिकाओं पर अदालत उसी दिन सुनवाई करेगी, यानी 23 दिसंबर को ही दोनों पक्षों के तर्कों पर अंतिम निर्णय आने की संभावना है।
पहले से ही दो पैन कार्ड मामले में सजा काट रहे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को शुक्रवार को एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दूसरे मुकदमे में भी दोषी ठहराया है। यह मामला दो पासपोर्ट रखने और उनमें अलग-अलग जन्मतिथि दर्ज कराने से जुड़ा था। अदालत ने अब्दुल्ला आजम को 7 साल की जेल और 50 हजार रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया। यह मुकदमा 2019 में शहर विधायक आकाश सक्सेना द्वारा सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराया गया था।
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शिकायत में आरोप था कि अब्दुल्ला आजम ने दो पासपोर्ट बनवाए। दोनों पासपोर्ट में जन्मतिथि अलग-अलग दर्ज है। एक पासपोर्ट का उपयोग उन्होंने विदेश यात्राओं में भी किया। यह अपराध कूट रचना, धोखाधड़ी और सरकारी दस्तावेजों के दुरुपयोग से जुड़ा है। शिकायत के अनुसार शैक्षिक प्रमाणपत्रों में जन्मतिथि 1 जनवरी 1993 दर्ज है। जबकि पासपोर्ट नंबर Z4307442 में जन्मतिथि 30 सितंबर 1990 लिखी है।
इस मामले को रद्द कराने के लिए अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए मुकदमे की नियमित सुनवाई जारी रखने को कहा। इसके बाद ट्रायल आगे बढ़ा और अंततः मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया।