गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पहली बार एम्स गोरखपुर में जो हुआ, वो मेडिकल इतिहास में दर्ज हो गया है। बता दें कि, गोरखपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर ने चिकित्सा और विधिविज्ञान के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के अत्याधुनिक शवगृह परिसर में पहले दो शव परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न किए गए। इसके साथ ही एम्स गोरखपुर में फॉरेंसिक मेडिसिन (विधिविज्ञान) सेवाओं की आधिकारिक शुरुआत हो गई है। यह कदम चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और जनसेवा के क्षेत्र में संस्थान की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।
दूरदर्शी नेतृत्व और प्रशासनिक सहयोग रहा
डाइनामाइट न्यूज़ संवादाता के अनुसार, ये दोनों शव परीक्षण फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों, डॉ. आशीष सराफ और डॉ. नवनीत अटेरिया ने पूर्ण तकनीकी दक्षता और मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किए। इस प्रक्रिया की सफलता ने न केवल संस्थान की तकनीकी क्षमता को प्रदर्शित किया, बल्कि क्षेत्र में विधिविज्ञान सेवाओं के लिए एक नए युग की शुरुआत की। इस उपलब्धि के पीछे मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ, एम्स गोरखपुर का दूरदर्शी नेतृत्व और प्रशासनिक सहयोग रहा।
क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सकेंगे
उनके प्रयासों से शवगृह परिसर की योजना, निर्माण और संचालन संभव हो सका।डॉ. दत्ता ने कहा, “यह शवगृह परिसर न केवल चिकित्सा छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेगा, बल्कि समयबद्ध और मानवीय दृष्टिकोण से शव परीक्षण सेवाएं उपलब्ध कराकर न्यायिक व्यवस्था को भी सशक्त करेगा।” यह परिसर अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है, जो शव परीक्षण प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाता है।इस शवगृह के संचालन से चिकित्सा छात्रों को फॉरेंसिक मेडिसिन में गहन प्रशिक्षण मिलेगा, जिससे वे भविष्य में इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल कर सकेंगे।
केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगा
साथ ही, यह सुविधा क्षेत्रीय स्तर पर शव परीक्षण की मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। एम्स गोरखपुर का यह प्रयास न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करेगा, बल्कि सामाजिक और न्यायिक क्षेत्र में भी योगदान देगा। इस पहल से गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में विधिविज्ञान सेवाओं की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद है।
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