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104 गांव, 1 मिशन! डीएम की बैठक में खुली ज़मीनी सच्चाई; क्या होने वाला है बड़ा बदलाव

बाराबंकी में डीएम शशांक त्रिपाठी की अध्यक्षता में जल, स्वच्छता, पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक अहम बैठक हुई। 104 ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद हुआ, जिसमें योजनाओं की जमीनी हकीकत सामने आई। सवाल यही है—क्या ये संवाद अब बदलाव की शुरुआत बनेगा?
Post Published By: Poonam Rajput
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104 गांव, 1 मिशन! डीएम की बैठक में खुली ज़मीनी सच्चाई; क्या होने वाला है बड़ा बदलाव

Barabanki: बाराबंकी जिले में जल, स्वच्छता और पोषण सुधार को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल की गई। जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी की अध्यक्षता में यूनिसेफ के सहयोग से 104 चयनित ग्राम पंचायतों की परिचयात्मक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)-2.0, ऑपरेशन कायाकल्प और आंगनबाड़ी कायाकल्प जैसी योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करना था।

डीएम का फोकस: भागीदारी से बदलाव

बैठक की शुरुआत करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर नहीं, जमीनी स्तर पर दिखनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यूनिसेफ इन ग्राम पंचायतों को तकनीकी सहयोग देगा ताकि जल, स्वच्छता और पोषण संबंधी सुविधाओं का संचालन और रखरखाव बेहतर हो सके। उन्होंने ग्राम प्रधानों से विशेष आग्रह किया कि वे सिर्फ निर्माण कार्यों तक सीमित न रहें, बल्कि उनके नियमित उपयोग, संचालन और निगरानी को प्राथमिकता दें।

प्रतिनिधियों से सीधी बात, समस्याएं खुलकर सामने आईं

गोष्ठी में जिलाधिकारी ने आर.आर.सी. सेंटर, पाइप जलापूर्ति, पानी की टंकियों की कार्यक्षमता, मोटर संचालन जैसी तमाम व्यवहारिक समस्याओं पर ग्राम प्रधानों से संवाद किया। प्रतिनिधियों ने बताया कि कई स्थानों पर मोटर संचालन में तकनीकी बाधाएं आ रही हैं और कुछ जगहों पर जल की आपूर्ति नियमित नहीं हो पा रही है।

इसी बीच सामुदायिक सहभागिता की कमी, रखरखाव में स्थानीय जागरूकता की कमी और प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत भी प्रमुख मुद्दों के रूप में उभरे।

यूनिसेफ का सहयोग: प्रशिक्षण और जागरूकता का वादा

यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने गोष्ठी में प्रेजेंटेशन के जरिए योजनाओं के सफल संचालन के लिए जरूरी पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने जल प्रबंधन, संचालन और अनुरक्षण (O&M), महिला सहभागिता, निगरानी तंत्र और व्यवहार परिवर्तन संचार (BCC) के महत्व पर बल दिया। यूनिसेफ द्वारा इन चयनित गांवों में निरंतर तकनीकी प्रशिक्षण और मॉडल डेवलपमेंट के लिए मार्गदर्शन देने की घोषणा की गई।

गांवों से निकली उम्मीद की किरण

इस संवादात्मक सत्र ने जहां ग्रामीण प्रतिनिधियों को अपनी बात खुलकर कहने का मंच दिया, वहीं प्रशासन को भी योजनाओं की जमीनी स्थिति को नजदीक से समझने का मौका मिला। अंत में जिलाधिकारी ने सभी ग्राम प्रधानों से कहा कि यह सिर्फ एक परिचयात्मक बैठक नहीं, बल्कि बदलाव की पहली सीढ़ी है।

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