मन मस्तिष्क के अंदर विचारों का फूटता ज्वार अपने चरम पर है। अभिव्यक्ति पर अब यदि विराम लगाया तो अवसाद और मानसिक कुंठा से स्वयं को बचा पाना असंभव होगा।