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Dire Wolves: Science का चमत्कार! हजारों साल पहले विलुप्त हुए भेड़िए की प्रजाति को किया जिंदा

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने तकनीक की मदद से चमत्कार कर दिया है, हजारों साल पहले विलुप्त हो चुकी प्रजाति को फिर से जिंदा कर दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Dire Wolves: Science का चमत्कार! हजारों साल पहले विलुप्त हुए भेड़िए की प्रजाति को किया जिंदा

नई दिल्ली: विज्ञान किसी चमत्कार से कम नहीं है। विज्ञान में असंभव को भी संभव करने की क्षमता होती है। विज्ञान में तकनीक के  माध्यम से हजारों साल पहले विलुप्त हो चुकी एक भेड़िए की प्रजाति को वैज्ञानिकों ने जरूर जिंदा किया है, जो कि हैरानी से कम नहीं है। अमेरिका के डलास की एक कंपनी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो वाकई में हैरान कर देने वाली ख़बर है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अमेरिका के डलास में कोलोसैल बायोसाइंसेड ने 12,000 साल पहले विलुप्त हो चुके जानवर डायर वुल्फ (Dire Wolves) को दोबारा से जिंदा करने में सफलता हासिल की है। इससे उम्मीद लगाई जा रही है कि इस तकनीक के जरिए स्वास्थ्य और जैव विविधता के क्षेत्र में भी उपयोगी चीजों के विकास की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

कैसे हुए जिंदा? 
इस कंपनी ने हजारों साल पहले पुराने दांत और 72 हजार साल पहले खोपड़ी ने निकले हुए डीएनए का इस्तेमाल करके CRISPR टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया और 14 जीन में 20 एडिटिंग की। फिर इन एडिटेड सेल्स को क्लोन किया गया, इसके बाद घरेलू फीमेल डॉग्स के जरिए इनको जन्म दिलाया गया है। इनमें से दो नर हैं और एक मादा है। नर का जन्म 1 अक्टूबर 2024 को और मादा का जन्म 30 जनवरी 2025 को हुआ है। 

कैसे रखा जा रहा इनका ख्याल?
इनको खाने में जानवरों के लिए बनाया खाना खिलाया जाता है. ये हिरण, घोड़े और गाय का मांस खाते हैं।  दोनों नर वुल्फ अपने सबसे करीबी रिश्तेदार ग्रे वुल्फ के बच्चों से तकरीबन 20 से 25% बड़े हैं। कोलोसल का दावा है कि जब ये पूरी तरह से बड़े हो जाएंगे तो इनका वजन करीब 140 पाउंड तक हो जाएगा। 

क्या डाइनासोर के भी जिंदा होने की है संभावना?
ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि क्या इसी तकनीक से डाइनासोर को भी जिंदा किया जा सकता है? हालांकि इसको लेकर अभी संदेह है, क्योंकि वो करीब 66 मिलियन साल पहले विलुप्त हो गए थे। आज के वक्त में उनके डीएनए का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल है  लेकिन प्रकृति से इस तरीके से छेड़छाड़ करने को लेकर नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं। 

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