नई दिल्ली:  किसान संगठनों ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के खिलाफ पीएमओ, वित्त मंत्रालय को लिखा पत्र

डीएन ब्यूरो

किसान संगठन ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन’ (एफएआईएफए) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है। डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है कि तम्बाकू के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को जगह दी जानी चाहिए। इससे वैश्विक खाद्य संकट से निपटने में मदद मिलेगी।

किसान संगठन (फाइल)
किसान संगठन (फाइल)


नई दिल्ली: किसान संगठन ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन’ (एफएआईएफए) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश के खिलाफ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा है। डब्ल्यूएचओ ने सिफारिश की है कि तम्बाकू के स्थान पर वैकल्पिक फसलों को जगह दी जानी चाहिए। इससे वैश्विक खाद्य संकट से निपटने में मदद मिलेगी।

पीएमओ, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को दिये अपने प्रतिवेदन में एफएआईएफए ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश अवैज्ञानिक है और तंबाकू की खेती की जगह अन्य फसलों का कोई लाभ नहीं है।

केंद्रीय तंबाकू अनुसंधान संस्थान (सीटीआरआई) के एक अध्ययन का हवाला देते हुए, संगठन ने कहा कि आंध्र प्रदेश में चना और धान जैसी वैकल्पिक फसलों के प्रतिस्थापन के लिए किए गए पिछले प्रयास से किसानों को तंबाकू की खेती से उनकी पिछली कमाई की तुलना में काफी नुकसान हुआ है।

आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात में वाणिज्यिक फसलों के लाखों किसानों और कृषि श्रमिकों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक गैर-लाभकारी संगठन, एफएआईएफए ने सरकार से अनुरोध किया है कि भारत को डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों या सिफारिशों को लागू नहीं करना चाहिए क्योंकि ये पश्चिमी सभ्यता के तंबाकू खपत मॉडल पर आधारित ‘‘सभी के लिए एक समान’’ समाधान की धारणा पर बना है।

एफएआईएफए के महासचिव मुरली बाबू ने एक बयान में कहा कि भारत एक बड़ा तम्बाकू उत्पादक देश है। ऐसे में यहां उचित कृषि-जलवायु अध्ययन किए बिना ऐसी अपीलों के कारण लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।

 










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