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नर्मदा नदी खतरे के निशान के ऊपर, मुंबई-अहमदाबाद रेल मार्ग पर 12 घंटे बाद ट्रेनों का संचालन शुरू, जानिये ताजा स्थिति

गुजरात में भरूच और अंकलेश्वर स्टेशनों के बीच खतरे के निशान से ऊपर बह रही नर्मदा नदी का जलस्तर घटने के बाद मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर ट्रेन यातायात लगभग 12 घंटे बाद सोमवार दोपहर के आसपास फिर से शुरू हो गया।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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नर्मदा नदी खतरे के निशान के ऊपर, मुंबई-अहमदाबाद रेल मार्ग पर 12 घंटे बाद ट्रेनों का संचालन शुरू, जानिये ताजा स्थिति

मुंबई: गुजरात में भरूच और अंकलेश्वर स्टेशनों के बीच खतरे के निशान से ऊपर बह रही नर्मदा नदी का जलस्तर घटने के बाद मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर ट्रेन यातायात लगभग 12 घंटे बाद सोमवार दोपहर के आसपास फिर से शुरू हो गया। पश्चिम रेलवे ने यह जानकारी दी।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) सुमित ठाकुर ने स्थिति पर अद्यतन जानकारी देते हुए बताया कि नर्मदा नदी का पानी खतरे के निशान से नीचे आने के बाद सोमवार को पूर्वाह्न करीब साढ़े 11 बजे पुल संख्या 502 पर ट्रेन संचालन बहाल हो गया।

रविवार रात करीब 11 बजकर 50 मिनट पर पुल संख्या 502 पर नर्मदा नदी का पानी खतरे के निशान से ऊपर बहने के बाद मुंबई-अहमदाबाद मार्ग के वडोदरा खंड में भरूच और अंकलेश्वर स्टेशन के बीच ट्रेन यातायात रोक दिया गया।

उन्होंने कहा कि नदी का जलस्तर अब भी खतरे के निशान से ऊपर है, हालांकि इसमें कमी आना शुरू हो गया है।

ठाकुर ने कहा, ‘‘नर्मदा नदी पुल पर रेल यातायात बहाल हो गया है और ट्रेनें धीमी गति से एहतियात के साथ चल रही हैं।’’

उन्होंने कहा कि पश्चिम रेलवे ने यात्रियों को ट्रेन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने में सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर स्थापित किए हैं और सार्वजनिक घोषणा प्रणाली के जरिए यात्रियों को ट्रेन की स्थिति की अद्यतन जानकारी दी जा रही है।

बाढ़ के कारण रविवार देर रात से नदी के दोनों छोर पर सभी यात्री एवं मालगाड़ियों को रोक दिया गया था।

ठाकुर ने बताया कि ट्रेन में फंसे यात्रियों को जलपान, चाय और पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।

पश्चिम रेलवे की एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि बाढ़ के कारण मुंबई-अहमदाबाद तेजस एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस सहित कम से कम डेढ़ दर्जन ट्रेन रद्द कर दी गई हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, रविवार को गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ आ गई और कई गांवों का संपर्क टूट गया, क्योंकि नर्मदा और अन्य नदियां पूरे उफान पर थीं।

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