DN Exclusive: महराजगंज महोत्सव में पहुंचे ‘बी प्राक’ का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू, पढ़िये संघर्ष से सफलता की अद्भुत कहानी

महराजगंज महोत्सव में दूसरे दिन की शाम जलवा बिखरने वाले बी प्राक ने डाइनामाइट न्यूज पर साझा की अपने संघर्षों की दास्तां। पढ़ें उनका सफरनामा

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 October 2024, 4:11 PM IST
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महराजगंजः पंजाबी म्यूजिक कंपोजर व प्रोडयूसर रहे वीरेंद्र बच्चन ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका प्रक्की उनसे भी चार कदम आगे बढ़कर ख्याति हासिल करेगा। वह अपने इस पुत्र को म्यूजिक डायरेक्टर बनाना चाहते थे किंतु प्रक्की को बचपन से ही सिंगर बनने की धुन सवार थी। अपनी इस धुन के बूते पर प्रक्की ने जो मुकाम हासिल किया है, वह सभी के प्रेरणादायी है।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पढ़िये प्रक्की का पूरा सफरनामा।

30 रूपये की कहानी

सिंगर बनने की धुन को पूरा करने के लिये प्रक्की के पिता ने इन्हें प्रतिदिन 30 रूपए देने शुरू किए। इस रूपए से चंडीगढ़ से रिकार्डिंग स्टूडियो जाने का किराया 10 रूपए तथा वापसी के 10 रूपए और शेष 10 रूपए वह उन्हें खाने को देते थे। ऐसा कत्तई नहीं है कि उनके पास आर्थिक अभाव था, बल्कि वीरेंद्र बच्चन चाहते थे कि उनका बेटा तपकर सोने के रूप में अपनी अमिट छाप स्थापित करे। बेटे ने भी पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने में कोई कोर कसर शेष नहीं छोड़ी।

डाइनामाइट न्यूज के बॉलीवुड संवाददाता से हुई बातचीत में बी प्राक्की ने अपने संघर्षों की पूरी गाथा शेयर की। 

बचपन के किस्से
7 फरवरी 1986 को प्रख्यात म्यूजिक कंपोजर के घर में जन्में प्रक्की बी को बचपन से ही संगीत की कला विरासत में मिली। इनके पिता वीरेंद्र बच्चन पंजाबी म्यूजिक कंपोजर और प्रोडयूसर रहे। इनके चाचा सुरेंद्र बच्चन "तूतक-तूतक तूतिया" के गाने से खूब मशहूर रहे। गाने गुनगुनाने को लेकर प्रक्की बी की बहन सुहानी के साथ इनकी तीखी नोंकझोंक होती रहती थी। जैसी बी के यह खूब दीवाने रहे जिस कारण यह बाल कटिंग रखते थे। यह बाल कटिंग उस समय पूरे हिंदुस्तान में मशहूर थी। तब इनके सिर पर घने बाल हुआ करते थे। जेबी स्टूडियो में सरस्वती सिंह ने इन्हें म्यूजिक बनाना सिखाया। 

संघर्षों का दौर
रिकार्डिंग स्टूडियो में प्रक्की बी जिस समय संघर्ष कर रहे थे, उसी समय जानी भी ऐसे ही दौर से गुजर रहे थे। जानी ने इन्हें लगातार तीन-चार दिनों तक फोन किया किंतु इन्होंने कोई महत्व नहीं दिया। एक दिन दोनों की मुलाकात हुई और जानी ने इन्हें आस्ट्रेलिया के एक प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें पैसे भी मिलेंगे। दोनों ने मिलकर "शराबी म्यूजिक एलबम" प्रोजेक्ट पर वर्क किया किंतु यह खास सफल नहीं रहा।

इसी दरम्यान इनकी मुलाकात हार्डि सिंधु से हुई और तीनों की जोड़ी ने धमाल मचाने शुरू कर दिए। प्रक्की म्यूजिक बनाते थे। एक दिन हार्डि ने इन्हें नाम बदलने की सलाह देकर "बी प्राक" की संज्ञा दी। तब इन्हें बी प्राक के रूप में एक नई पहचान मिली।

वर्ष 2015 में "मन परया" गाने को बी प्राक ने हिंदी में लिखा था। इस गाने की काफी डिमांड  होने लगी किंतु प्राक ने इसे किसी को नहीं दिया। वर्ष 2017 में पहली बार इस गाने को बी प्राक ने खुद गाया। इस गाने में इन्हें खूब प्रसिद्धी दिलाई। अलग-अलग पिच पर भी गाने में इन्हें महारत हासिल है। 

पारिवारिक बैकग्राउंड 
बी प्राक के पिता वीरेंद्र बच्चन वर्ष 2021 तक ही इनके साथ रहे। वर्ष 2019 में इनकी शादी मीरा से हुई। अदब को जन्म दिया जबकि दूसरा पुत्र फजा जन्म के कुछ समय बाद 10 जून 2020 काल कलवित हो गया। इसकी अभी हाल में पहली पुण्यतिथि मनाकर दंपत्ति ने काफी दुख व्यक्त किया था। 

पसंद और पुरस्कार
बी प्राक को एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, दो फिल्म फेयर पुरस्कारों सहित कई पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। संगीत निर्माता के रूप में शुरू हुआ इनका सफर आज गायक और संगीतकार का रूप ले चुका है। पंजाबी और हिंदी संगीत में इनका कोई जोड़ नहीं है। 

तेरी मिट्टी में मिल जांवा... 
पुराने देशभक्ति गीतों के बाद केसरी में अक्षय कुमार की फिल्म "केसरी" में बी प्राक के "तेरी मिट्टी में मिल जांवा, गुल बनके मैं खिल जांवा, बस इतनी सी है आरजू" ने इन्हें खूब शोहरत दिलाई। एआर रहमान संगीत निर्देशन में इन्हें प्रेरणा मिली। इन्होंने तमाम मशहूर सिने कलाकारों को अपने लिखे गीतों से ख्याति दिलाई। इनके पसंदीदा संगीतकारों में प्रीतम, जतिन-ललित, विशाल शेखर, शंकर एहसान लाय रहे। इसके अलावा हरिहरन, सुरिंदर कौर, सरइल सिकंदर, अरिजीत सिंह, केके पसंदीदा गायक हैं। 

कई मीलियन लाइक पर कुकिंग
38 वर्षीय बी प्राक गीतों के अलावा कुकिंग का भी शौक रखते हैं। एक गाने को जब कई मीलियन लोग लाइक और शेयर मिलते हैं, तो यह अपने हाथ से अपनी तथा पत्नी की पसंदीदा डिश बनाकर लुत्फ भी उठाते हैं। इसके पीछे इनका शुरू से यह मानना रहा है कि अगर गीत-संगीत में सफलता नहीं मिली तो कहीं ढाबा खोलकर जीविकोपार्जन तो किया ही जा सकता है। कुकिंग की यह तस्वीरें भी यह खूब शेयर कर अपने चाहने वालों के चेहरे पर खुशियों के भाव बिखरते हैं।