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Maha Kumbh Mauni Amavasya: महाकुंभ में मौनी अमावस्या का क्या है महत्व, देखिए कब है दूसरा अमृत स्नान

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का खास महत्व है। इस बार महाकुंभ की वजह से मौनी अमावस्या का महत्व और बढ़ गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Maha Kumbh Mauni Amavasya: महाकुंभ में मौनी अमावस्या का क्या है महत्व, देखिए कब है दूसरा अमृत स्नान

प्रयागराज: दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में हर दिन लाखों श्रद्धालू पहुंच रहे हैं और संगम में डुबकी लगा रहे हैं। इस आयोजन के दौरान कई महत्वपूर्ण तिथियों पर विशेष स्नान और पूजा का आयोजन होता है। इनमें से एक सबसे खास दिन है मौनी अमावस्या, जिसे महाकुंभ का सबसे बड़ा स्नान पर्व माना जाता है। महाकुंभ मेले में अमृत स्नान का विशेष महत्व है। महाकुंभ में पहला अमृत स्नान हो चुका है और दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या  के दिन यानि कल होगा।  

कैसे पड़ा मौनी अमावस्या का नाम

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मौनी अमावस्या का नाम दो शब्दों से बना है – ‘मौन’ और ‘अमावस्या’। मौन का मतलब है चुप रहना और अमावस्या का अर्थ है चंद्रमा का न दिखाई देना या मास की नई शुरुआत। इस दिन मौन रहने और आत्मचिंतन करने की परंपरा है। यह माना जाता है कि मौन रहने से इंसान की आत्मा शुद्ध होती है और उसे आंतरिक शांति मिलती है।

क्या है पौराणिक महत्व?

हिंदू धर्म के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर स्नान करना बेहद पवित्र माना गया है। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि इस दिन सभी देवता और ऋषि मुनि गंगा के जल में स्नान करने आते हैं। इस कारण माना जाका है कि इस दिन संगम में स्नान करने से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही माना जाता है कि इस दिन पितृ तर्पण और पिंड दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। 

एक और मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। साथ ही, यह भी कहा जाता है कि इसी दिन राजा दिलीप और उनके वंशजों ने मौन रहकर तपस्या की थी और उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ था।

व्रत रखकर दान-पुण्य की है परंपरा 

मौनी अमावस्या का दिन केवल स्नान और पूजा तक सीमित नहीं है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, दान-पुण्य करते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मौन रहकर ध्यान लगाने से व्यक्ति की आत्मा को शुद्धि और सुकून मिलता है।

संगम में स्नान करने के अलावा, लोग भगवान विष्णु और शिव की पूजा करते हैं। इसके साथ ही कहा जाता है कि इस दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है।

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