Site icon Hindi Dynamite News

DN Exclusive: गोरखपुर के कमिश्नर जयंत नार्लिकर की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल

नार्थ-ईस्ट के राज्यों असम-मेघालय से पिंड छुड़ाकर उत्तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर आये AM कैडर के 2003 बैच के आईएएस जयंत नार्लिकर पिछले 27 मार्च से गोरखपुर के मंडलायुक्त पद पर तैनात हैं। इनकी कार्यप्रणाली की तहकीकात करती डाइनामाइट न्यूज़ की ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
DN Exclusive: गोरखपुर के कमिश्नर जयंत नार्लिकर की कार्यप्रणाली पर उठे गंभीर सवाल

लखनऊ/गोरखपुर/महराजगंज: साढ़े छह महीने से गोरखपुर के कमिश्नर के पद पर तैनात जयंत नार्लिकर कड़क तेवरों वाले सीएम के मूड को भांपने में पूरी तरह विफल हैं। भ्रष्टाचार के नाम पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाले सीएम की सोच के ठीक उलट जयंत अपने मातहत जिलाधिकारियों को बिना किसी जांच-पड़ताल के भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर बिना मिनट भर की देरी किये क्लिन-चिट दे डालते हैं भले ही ये मामला पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट से जुड़ा हुआ हो या फिर सीएम के इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। 

सस्पेंशन से 48 घंटे पहले तक भ्रष्टाचारी डीएम के पक्ष में जबरदस्त बैटिंग करते दिखे कमिश्नर
शनिवार को जयंत महराजगंज जिले के फरेन्दा तहसील के दौरे पर थे। यहां मथुरा नगर गांव के टोला भारी वैसी में जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय के संरक्षण में भ्रष्टाचार का नग्न तांडव जारी था। इस गांव के लोगों को ‘प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट हर घर को शौचालय की सुविधा से जोड़ा जाय’ की सुविधा से सभी जिम्मेदारों ने वंचित रखा। जैसे ही कमिश्नर का दौरा गांव के लिए तय हुआ, डीएम ने पंचायती राज से जुड़े कर्मचारियों को अलर्ट किया और आनन-फानन में रातों-रात शौचालय की शीट बांटने का काम प्रारंभ कर दिया गया (देखें वीडियो) देखते ही देखते शौचालय की दीवारें खड़ी होनी शुरु कर दी गयीं। 

 

 

यह भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री ने मनोज टिबड़ेवाल को लोक भवन में बुलाकर दिया था न्याय का भरोसा

कमिश्नर जब गांव में पहुंचे तो बड़ी संख्या में पत्रकारों ने इन्हें घेर लिया और भ्रष्टाचार और अनियमितता के इस काले खेल पर सवाल दागना शुरु किया कि आपके आने के चंद घंटे पहले गांव में बड़ी संख्या में शौचालय बांटे गये हैं, क्या आपको इसकी जानकारी है? तो इस पर कमिश्नर ने बेहद हैरान करने वाला जवाब दिया और सीधे-सीधे जिलाधिकारी को बिना जांच क्लिन-चिट देते हुए कहा कि मुझे ‘जिलाधिकारी के नेतृत्व’ पर पूरा भरोसा है। यही नही अपने मातहत डीएम को ‘जिलाधिकारी महोदय’ (देखें वीडियो) कहते और ‘अपील करने’ जैसे शब्दों से पूजते नजर आये। 

 

दौरे से चंद मिनट पहले किया जा रहा शौचालय का निर्माण

बिना निर्माण भुगतान के सवाल पर दिया नेताओं जैसा बयान
जब कमिश्नर से शौचालय घोटाले पर सवाल पूछा गया कि यहां दो सौ शौचालयों का निर्माण हुए बिना ही धन का भुगतान कर दिया गया तो उन्होंने जांच कराने की बात कहने की बजाय डीएम को संरक्षण देने के चक्कर में नेताओं जैसा बयान देने लगे कि ‘इसको समझने की कोशिश करिये कि आज से पांच-सात साल पहले योजनायें अधिकारी केन्द्रित होती थीं लेकिन आज स्थिति दूसरी है’ मतलब इनके जो वरिष्ठ अफसर आज से पांच-सात साल पहले योजनाओं को लागू या क्रियान्वित करते-कराते थे वे सब गलत थे और दूसरे राज्य से प्रतिनियुक्ति पर आकर ये जनाब अब सब कुछ ठीक कर रहे हैं?

यह भी पढ़ेंः महराजगंज के जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय को मिली पाप की सजा, हुए सस्पेंड 

 

मंडलायुक्त के दौरे से चंद मिनट पहले बांटी जा रही शौचालय की शीट

सीएम के निर्णय का आभास तक नहीं हो पाया जयंत को
सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि जयंत को इस बात का तनिक भी आभास नहीं हुआ कि वे अपने जिस मातहत प्रमोटेड आईएएस अमरनाथ उपाध्याय को पानी पी-पीकर बिना किसी जांच के बचाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं उसे चंद घंटों बाद ही सीएम योगी सस्पेंड करने वाले हैं। शासन स्तर पर अमरनाथ को भ्रष्टाचार में सस्पेंड करने की कुंडली तैयार हो चुकी थी और जयंत इन्हें ‘महोदय’ ‘नेतृत्व पर पूरा भरोसा’ और ‘अपील’ जैसे शब्दों से महिमामंडित करते नजर आये। 
गांव की महिलायें मीडिया के कैमरों के आगे अनियमितता की रामकहानी चीख-चीख बताती रहीं लेकिन कमिश्नर को ‘डीएम प्रेम’ के आगे कुछ नहीं दिखा।

यह भी पढ़ेंः DN Exclusive: भ्रष्ट प्रमोटेड आईएएस अमरनाथ उपाध्याय के खिलाफ एफआईआर, सीएम ने बतायी हैसियत 

 

भ्रष्टाचार की पोल खोलता आनन-फानन का यह निर्माण 

 

‘रखवाले’ की भूमिका की जांच से होगी असली तस्वीर साफ 
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अमरनाथ उपाध्याय महराजगंज में डेढ़ साल से डीएम थे और इनके ऊपर साढ़े छह महीने तक जयंत कमिश्नर रहे। दो दिन पहले ही कमिश्नर ने मधवलिया गोसदन का दौरा भी किया था। जिले के अनगिनत लोग गोरखपुर जा-जाकर कमिश्नर साहब को भ्रष्टाचारी डीएम की अनंत कथा सुनाते-सुनाते थक गये लेकिन साहब है कि कुछ सुनने को ही तैयार नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि डीएम के भ्रष्टाचार को कमिश्नर ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत पाला-पोसा? यदि वाकई ऐसा है तो इसकी उच्च स्तरीय जांच तो बनती है। साथ ही कमिश्नर के साढ़े छह महीने के गोरखपुर मंडल के चारों जिले के ‘रखवाले’ की भूमिका की भी जांच जरुरी है तभी असलियत सामने आ पायेगी।

Exit mobile version