जानिये भारतीय मार्शट आर्ट ‘कलारीपयट्टू’ के बारे में ये खास बातें, तलवार और ढाल हमारी फिल्मों के लिए नहीं

भारतीय मार्शट आर्ट ‘कलारीपयट्टू’ के तलवार और ढाल भारतीय फिल्मों, खासकर मलयालम फिल्मों के लिए नये नहीं हैं। लेकिन सिनेमा में इनकी झलक बहुत कम ही दिखी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 3 May 2023, 12:41 PM IST

बेंगलुरु, तीन मई (भाषा) भारतीय मार्शट आर्ट ‘कलारीपयट्टू’ के तलवार और ढाल भारतीय फिल्मों, खासकर मलयालम फिल्मों के लिए नये नहीं हैं। लेकिन सिनेमा में इनकी झलक बहुत कम ही दिखी है।

भारत में सिनेमा में इस कला की सबसे ज्यादा झलक संभवत: संतोष सिवन की फिल्म ‘अशोका’ में दिखी थी। 2001 में आई फिल्म में शाहरुख खान और करीना कपूर के अभिनीत किरदारों ने इस कला का प्रदर्शन किया जो भारत की प्राचीन युद्ध कलाओं में से एक है।

बताया जाता है कि सिवन ने फिल्म की शूटिंग के दौरान योद्धाओं की भूमिका में कलारी प्रशिक्षकों को भी लिया था।

बेंगलुरु स्थित कलारी गुरुकुलम के रंजन मुल्लारत्त करीब 24 साल से इस कला का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनके लिए फिल्मों में कलारी की छोटी छोटी झलक दुनिया को इसके लाभ से अवगत कराने के लिए काफी नहीं हैं। इसलिए उन्होंने पांच साल की अवधि में कलारीपयट्टू पर दो कन्नड़ फिल्म बनाई हैं।

उनकी नई फिल्म ‘लुक बैक’ का ऑडियो लांच सात मई को होना है। इसमें कलारीपयट्टू की धुरंधर माने जाने वाली 81 साल की मीनाक्षी राघवन काम कर रही हैं जिन्हें मीनाक्षी अम्मा के नाम से जाना जाता है।

मुल्लारत्त ने कहा, ‘‘मेरा हमेशा से सपना था कि चीनी मार्शल आर्ट फिल्मों की तरह कलारी पर एक फिल्म बनाऊं।’’

हालांकि उनकी पहली फिल्म ‘देहि’ चीनी एक्शन फिल्मों से अलग थी। 2020 में रिलीज हुई फिल्म का कारोबार तो कम ही रहा, लेकिन इसने फिल्म जगत में अपनी छाप छोड़ी।

मुल्लारत्त ने कहा, ‘‘हमने 3,000 साल पुरानी इस प्राचीन कला की कहानी बताने पर ध्यान केंद्रित किया था। हालांकि मुझे कोई बैंकर नहीं मिला। रचनात्मक रूप से मुझे काफी समर्थन मिला था। लेखक बी जयामोहन ने पटकथा लिखी और मणिरत्नम के सहयोगी धना ने इसका निर्देशन किया।’’

उन्होंने कहा कि ‘लुक बैक’ इस मायने में अलग होगी।

भाषा

वैभव मनीषा

मनीषा

Published : 
  • 3 May 2023, 12:41 PM IST

No related posts found.