सरकार ने किया साफ- संसद के इसी सत्र में पारित होगा एससी/एसटी से जुड़ा विधेयक

संसद में गुरूवार को भी एससी/एसटी को लेकर जोरदार बहस जारी रही। कांग्रेस के सवाल के जाबाव पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ किया कि एससी/एसटी पर अत्याचार रोकने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को मंजूर विधेयक को संसद के मानसून सत्र में ही पारित कराया जायेगा।

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 August 2018, 1:57 PM IST
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नई दिल्ली: अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी/एसटी) पर अत्याचार रोकने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को मंजूर विधेयक संसद के इसी मानसून सत्र में ही पारित कराया जायेगा।   यह बात गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान कांग्रेसी नेता मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा उठाये गये मुद्दे के संबंध में कही। 

इससे पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा “सारा देश अवगत है कि उच्चतम न्यायालय ने जो आदेश दिया था उससे ‘अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार निवारण कानून’ कमजोर हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी समय कहा था कि हम ऐसा ही या इससे भी कड़ा कानून लायेंगे। खड़गे ने कहा कि इस पर अध्यादेश लाया जाना चाहिए था। इस पर बिल पेश किया जाए। हम सरकार से मांग करते हैं कि इस पर कल अध्यादेश लाया जाए हम सर्वसम्मति से इसे पास कराएंगे। 

खड़गे के मुद्दों पर सरकार की तरफ से जवाब देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि खड़गे ने जो सवाल खड़ा किया है, उससे आश्चर्य हुआ है। गृहमंत्री ने कहा कि शायद इन्हें जानकारी हो चुकी है कि मोदी कैबिनेट ने इस बिल को अप्रूव कर दिया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस प्रकार का संदेश गया था कि ऐक्ट कमजोर हुआ। तब पीएम मोदी ने वादा किया था कि इसे कमजोर नहीं होने देंगे। 

गृहमंत्री ने खड़गे के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार द्वारा इस बिल को इसी सत्र में पास कराया जाएगा। गौरतलब है कि बुधवार को ही मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी है। 

संसद का मानसून सत्र 10 अगस्त तक होना तय है और गुरुवार के बाद इसकी छह बैठकें होनी हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि यह बिल इसी सत्र में पास हो जायेगा। 

उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च 2018 के अपने फैसले में मौजूदा कानून के उस प्रावधान को समाप्त कर दिया था, जिसके तहत एससी/एसटी नागरिकों के खिलाफ कोई अत्याचार होने पर प्राथमिकी दर्ज होते ही बिना जाँच तुरंत गिरफ्तारी अनिवार्य थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार पर सवाल उठाये जा रहे थे। बिल के कमजोर होने की बात को लेकर देश भर में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए।   

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