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सरकार ने औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों को बदलने और नए सिरे से बनाने का मौका बर्बाद कर दिया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सरकार द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित तीन प्रमुख विधेयकों को लोकसभा में पारित कराए जाने के बाद बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि औपनिवेशिक कानूनों को बदलने और उन्हें नए सिरे से बनाने का अवसर बर्बाद कर दिया गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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सरकार ने औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों को बदलने और नए सिरे से बनाने का मौका बर्बाद कर दिया

नयी दिल्ली:  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सरकार द्वारा आपराधिक न्याय प्रणाली से संबंधित तीन प्रमुख विधेयकों को लोकसभा में पारित कराए जाने के बाद बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि औपनिवेशिक कानूनों को बदलने और उन्हें नए सिरे से बनाने का अवसर बर्बाद कर दिया गया है।

लोकसभा ने लंबी चर्चा और गृह मंत्री अमित शाह के विस्तृत जवाब के बाद बुधवार को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को ध्वनिमत से मंजूरी दी।

ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर लाये गए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘क्या सरकार ने वास्तव में ब्रिटिश औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों को खारिज कर दिया है? इस तथ्य पर विचार करें कि आईपीसी में 90-95 प्रतिशत, सीआरपीसी में 95 प्रतिशत और साक्ष्य अधिनियम में 99 प्रतिशत हिस्सा इन तीन विधेयकों में ‘कट, कॉपी और पेस्ट’ किया गया। क्या कोई उस तथ्य से इनकार या बहस कर सकता है?’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘वास्तव में, सरकार ने मैकॉले और फिट्ज़ स्टीफ़न को अमर कर दिया है जिन्होंने मूल आईपीसी और साक्ष्य अधिनियम का मसौदा तैयार किया था।’’

चिदंबरम ने आरोप लगाया कि कानूनों को बदलने और इन्हें नए सिरे से बनाने का अवसर बर्बाद कर दिया गया।

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