

बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये कॉरपोरेट बॉन्ड में उनके कुल कारोबार का 10 प्रतिशत शेयर बाजारों के ‘रिक्वेस्ट फॉर कोट’ (आरएफक्यू) मंच के जरिये करने को अनिवार्य कर दिया। इस पहल का मकसद इस खंड में नकदी को बढ़ाना है।
नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिये कॉरपोरेट बॉन्ड में उनके कुल कारोबार का 10 प्रतिशत शेयर बाजारों के ‘रिक्वेस्ट फॉर कोट’ (आरएफक्यू) मंच के जरिये करने को अनिवार्य कर दिया। इस पहल का मकसद इस खंड में नकदी को बढ़ाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि यह व्यवस्था एक अक्टूबर से अमल में आएगी।
इस कदम का उद्देश्य आरएफक्यू मंच पर नकदी और कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश से संबंधित पारदर्शिता तथा खुलासे को बढ़ाना है। इससे कॉरपोरेट बॉन्ड में एफपीआई निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
आरएफक्यू की शुरुआत फरवरी, 2020 में बीएसई और एनएसई पर की गयी थी। यह कारोबार करने का एक इलेक्ट्रॉनिक मंच है। यह उपयोगकर्ताओं को कोटेशन तलाशने और उसका जवाब देने के लिये विकल्प उपलब्ध कराता है। आरएफक्यू मंच पर कारोबार के लिए विभिन्न प्रकार की ऋण प्रतिभूतियां उपलब्ध हैं।
सेबी ने कहा, ‘‘एफपीआई द्वारा कॉरपोरेट बॉन्ड में... आरएफक्यू मंच पर तरलता बढ़ाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि वह तिमाही आधार पर अपने द्वितीयक बाजार में कुल कारोबार के मूल्य का कम-से-कम 10 प्रतिशत आरएफक्यू मंच के जरिये कॉरपोरेट बॉन्ड में कोटेशन लगाकर/मांगकर करेंगे।’’
सेबी ने कहा कि उसने वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) और स्टॉक ब्रोकर जैसे अन्य मध्यस्थों के लिये पहले से इस प्रकार की व्यवस्था लागू की हुई है।
पूंजी बाजार नियामक ने पिछले महीने इस संबंध में परामर्श पत्र जारी किया था।
परामर्श पत्र के अनुसार, एफपीआई का कुल कॉरपोरेट बॉन्ड निवेश कम है। उसमें भी आरएफक्यू मंच पर किये गये ऐसे कारोबार का प्रतिशत और भी कम है।
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