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फिरोजाबाद: लेखपाल के खिलाफ फिर फूटा पीड़ित किसानों का गुस्सा; जमकर धरना, प्रदर्शन और नारेबाजी, जानें पूरा मामला

यूपी के फिरोजाबाद में सोमवार को बड़ी संख्या में किसानों ने जिला मुख्यालय पर लामबंद हुए। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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फिरोजाबाद: लेखपाल के खिलाफ फिर फूटा पीड़ित किसानों का गुस्सा; जमकर धरना, प्रदर्शन और नारेबाजी, जानें पूरा मामला

फ़िरोज़ाबाद: सिरसागंज तहसील के लेखपाल देवेंद्र सिंह परमार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर महिला-पुरुष समेत बड़ी संख्या में किसानों ने जनपद मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की।

जिला मुख्यालय पहुंचे किसानों ने प्रदर्शन के बीच डिप्टी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और उनकी मांगे जल्द से जल्द पूरी करने की मांग की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पीड़ित किसान 80 वर्षीय वृद्ध समेत तीन पीड़ितों के ऊपर सिरसागंज पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। 

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सिरसागंज तहसील के लेखपाल देवेंद्र सिंह परमार के खिलाफ पीड़ित वृद्ध और अन्य पीड़ितों ने मीडिया में बयान दिया था। उन्होंने कहा कि राजनीतिक संरक्षण के बल पर लेखपाल ने थाना सिरसागंज में  पीड़ितों के खिलाफ ही मुकदमा करवाया। 

लेखपाल पर न्यायालय के माध्यम से एससी-एसटी एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करा चुकी महिला मुन्नी देवी एवं उसके पति पर  मुकदमा लिखाया।

वृद्ध त्रिभुवन पाल सिंह एवं पीड़ित महिला समेत कई लोग कई वर्षों से पत्राचार के माध्यम से शासन से प्रशासन तक लगातार लेखपाल शिकायत की कर रहे हैं लेकिन उसने उल्टा पीड़ितों पर ही पुलिस से केस दर्ज कर दिया। 

यहां बताते चलें कि वर्ष 2022 में सिरसागंज के तत्कालीन तहसीलदार ने तत्कालीन एसडीएम को लेखपाल के खिलाफ भेजी जांच आख्या भेजी थी । जिसमें कहा था कि क्षेत्रीय लेखपाल देवेंद्र सिंह परमार अपने दोस्त अशोक कुमार सिंह के साथ प्लॉटिंग का कार्य करते हैं और अपने पद का अनुचित लाभ लेने के हेतु लोगों के द्वारा धमकाकर ग्राम समाज की भूमि से सटे भूमि का विक्रय करने के दबाव डालते हैं। परन्तु राजनीतिक पकड़ के चलते दबंग लेखपाल पर अब तक कोई कार्रवाई नही हुई। 

उन्होंने कहा कि कभी-कभी बिना आदेश के भूमि धरी की पैमाइस भी करने पहुंच जाते हैं,जिससे आमजन में आक्रोश है, ऐसा कृत्य करने से क्षेत्र में कोई भी अप्रिय घटना घटी हो सकती है, लेखपाल का यह कार्य कर्मचारी नियमावली के निर्देशों के विरुद्ध है, जिससे तहसील एवं उच्चाधिकारियों की छवि धूमिल हो रही है। 

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